Essay on vruksh lagao dharti bachao
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पेड़ हमें जीवन देता है और जीवन जीने के लिये बहुत ज़रुरी होता है। बहुत सारे लोग आर्थिक रुप से जीने के लिये पेड़ों पर निर्भर होते हैं उदाहरण के तौर पर कागज उद्योग, रबर उद्योग, माचिस उद्योग आदि। पेड़ों की मुख्य भूमिका हमें शुद्ध ऑक्सीजन और हवा देना है तथा CO2 का उपभोग करना है जबकि ये हमें सुरक्षा, छाया, भोजन, कमाई का ज़रिया, घर, दवा आदि भी उपलब्ध कराते हैं।
पेड़ धरती पर बारिश का साधन होता है क्योंकि वो बादलों को आकर्षित करते हैं जो अंत में बारिश लाता है। ये मृदा अपरदन होने से भी बचाते हैं और प्रदूषण से बचाने के द्वारा पर्यावरण को ताजा रखते हैं। पेड़ जंगली जानवरों का घर भी है और जंगलों में जंगली जानवरों का साधन है। पेड़ बहुत मददगार होते हैं तथा मानवता के उपयोगी मित्र होते हैं। ये सीवेज़ और रसायनों को छानने के द्वारा मिट्टी को साफ करते हैं, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करते हैं, आकस्मिक बाढ़ को घटाते आदि हैं। हमारे जीवन में पेड़ों की महत्ता और मूल्य को देखते हुए हमें जीवन और पर्यावरण बचाने के लिये पेड़ों का सम्मान करना चाहिये।
Answer:
पर्यावरण का प्रदूषण आज एक विकट समस्या हैं. उद्योगों, नगरों आदि के विस्तार हेतु वनों को उजाड़ना इसका एक कारण हैं. वृक्षों की अंधाधुंध कटाई ने जल और वायु को दूषित कर दिया हैं. वृक्ष धरती पर जीवन के रक्षक हैं. मनुष्य और जीव जंतुओं का जीवन उनके बिना नहीं चल सकता. भारत की संस्कृति का सघन वनों से गहरा सम्बन्ध रहा हैं. महान विचारक ऋषि मुनियों के आश्रम वनों में ही होते थे.
वृक्षों का महत्व– वृक्ष मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं. वर्तमान सभ्यता से पूर्व उसका जीवन वृक्षों पर ही निर्भर था. उनसे प्राप्त फल उसके भोजन थे. उनके पत्र उसके वस्त्र और शैय्या थे. जब वह गाँव और नगर बसाकर उनमें रहने लगा तो वृक्षों से उसका सम्पर्क कम हो गया तथापि उनका महत्व उसके जीवन में कम नहीं हुआ. अपने वर्तमान सभ्य जीवन के संचालन के लिए भी वृक्षों की उसे आवश्यकता हैं. उनको फर्नीचर, कागज, औषधि, दियासलाई, गृह निर्माण आदि उद्योगों के लिए भी वृक्षों की उसे आवश्यकता होती हैं. ईधन, मसाले, गोंद, फल, मेवा आदि जीवनोपयोगी वस्तुएं उसे वृक्षों से ही प्राप्त होती हैं.
जलवायु के संरक्षण में वृक्षों का योगदान हैं. वृक्ष वर्षा कराते हैं, जिससे धरती पर अन्न उत्पन्न होता हैं और जल सम्बन्धी आवश्यकता पूरी होती हैं. वृक्षों के कारण मिट्टी का कटाव रूकता हैं. वृक्ष बाढ़ों पर नियंत्रण करते हैं. उनके कारण रेगिस्तान के प्रसार पर नियंत्रण होता हैं. तथा अनेक पशु पक्षियों की प्रजाति को जीवन मिलता हैं.
वृक्षों का कटाव– वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण विनाश का संकट उत्पन्न हो गया हैं. समस्त नीति नियमों का उल्लंघन कर हरे वृक्षों को काटा जा रहा हैं. देश में वनों के क्षेत्र में निरंतर कमी आती जा रही हैं. वनों की हरियाली के स्थान पर सीमेंट कंक्रीट के विशाल भवन दिखाई दे रहे हैं.
वनों को नष्ट करने का दुष्परिणाम– वैज्ञानिक एवं प्रक्रतिशास्त्री मानते हैं की देश की वन संपदा उसके वायुमंडल और ऋतुचक्र को प्रभावित करती हैं. वनों के अविवेकपूर्ण विनाश का कुपरिणाम देश के सामने उपस्थित हो रहा हैं. जहाँ एक ओर जीवन उपयोगी वन्य पदार्थ धीरे धीरे अलभ्य होते जा रहे हैं.
वहां दूसरी ओर देश का प्राकृतिक संतुलन भी गडबडा गया हैं. वर्षा, गर्मी और जाड़ा अनिश्चित रूप ले रहे हैं. वृक्षों में वर्षा के अतिरिक्त जल को नियंत्रित करने की शक्ति होती हैं. वनों के विनाश के कारण आजकल भयंकर बाढ़े आ रही हैं. भूमि के क्षरण के कारण धरातल का गठन परिवर्तित हो रहा हैं अगर इसी गति से वन विनाश जारी रहा तो आगामी कुछ वर्षों में देश की वन संपदा भी समाप्त हो जायेगी और समाज का यह आत्मघाती प्रयास इसे संकट में डाल देगा.
मानव का चिर साथी– वृक्ष मानव का चिर साथी हैं. वह अपना सर्वस्व मानव की सेवा में अर्पित कर देता हैं. किन्तु मनुष्य अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए उसे काट डालने से नहीं चूकता. वृक्षों के प्रति मनुष्य की इसी कृतघ्नता को गोविन्द माथुर ने निम्न लिखित शब्दों में व्यक्त किया हैं.
जिस आदमी को
अपना सर्वस्व देते हैं पेड़
वही आदमी
पृथ्वी से अलग कर देता है पेड़