Hindi, asked by bharatsoni, 1 year ago

essay on water pollution in hindi


bharatsoni: please help me

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Answered by Mahira1
9
पिछले दो सौ वर्षों की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति ने मनुष्य का जीवन काफी सुविधाजनक बना दिया है | औद्योगिक क्रांति ने करोड़ों लोगों का जीवन खुशहाल बना दिया है | नई-नई दवाइयों की खोज के कारण लोगों की आयु लंबी हो रही है | मृत्यु दर पहले से काफी कम हो गई है | इस तरह हम पाते हैं कि इस मशीनी युग ने हमें काफी कुछ दिया है | लेकिन यदि हम अपने आस-पास के पर्यावरण को देखे तो हमें पता चलेगा कि यह प्रगति ही हमारे जीवन में जहर भी घोल रही है | इस जहर का एक रूप है आज चरों तरफ फैला प्रदूषण |

प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनी प्रदूषण आदि | प्रदूषण के यह सारे रूप घातक है किंतु जिस प्रदूषण ने हमारे देश के सबसे ज्यादा लोगों को प्रभावित किया है वह है जल प्रदूषण | जल प्रदूषण से तात्पर्य है नदी, झीलों, तालाबों, भूगर्भ और समुद्र के जल में ऐसे पदार्थों का मिश्रण जो पानी को जीव-जंतुओं और प्राणियों के प्रयोग के अयोग्य बना देती है | इससे जल पर आधारित हर जीवन प्रभावित होता है |

जल प्रदूषण का मुख्य कारण हमारे उद्योग धंधे हैं | हमारे उद्योगों, कल-कारखानों से निकलनेवाला रासायनिक कचरा सीधे नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है | यह कचरा अत्यधिक जहरीला होता है | यह पानी को भी जहरीला कर देती है | नदी-तालाब में रहनेवाले जीव-जंतु मर जाते हैं | कई पशु इस पानी को पीकर मरते हैं तो कई मनुष्य बीमार पड़ते है | उद्योग धंधे के अलावा भी जल प्रदूषण के कई और कारक है | हमारे शहरों और गाँवों से निकलने वाला हजारों टन कचरा नदियों या समुद्रों में छोड़ दिया जाता है | आज कल खेती के लिए भी रासायनिक उर्वरकों और दवाईयों का प्रयोग हो रहा है | इन सब से पानी के स्रोत प्रभावित हो रहे हैं |

समुद्र के पानी के प्रदूषित होने का सबसे बड़ा कारण है प्रदूषित नदियों के जल का समुद्र में मिलना | इसके अलावा अनुपयोगी प्लास्टिक का बढ़ता ढेर भी समुद्र में बहा दिया जाता है | कई बार दुर्घटना के कारण जहाजों का इंधन समुद्र में फैल जाता है | यह तेल दूर-दूर तक समुद्र में फैल जाता है और समुद्र के पानी पर एक परता बना देता है | इसके कारण पानी में रहनेवाले अनगिनत जीव-जंतु मर जाते हैं |

इन सब कारणों से आज जल प्रदूषण काफी भयानक समस्या बन चुका है | जिन नदियों और तालाबों का पानी पीकर लोग जीवित रहते थे, अब वो पीने योग्य नहीं रहे | करोड़ों लोग पीने के पानी की समस्या झेल रहे हैं | हमारी सरकार को चाहिए कि जल प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए त्वरित कदम उठाये | सबसे पहले तो उद्योगों और कारखानों पर इस बात की पाबंदी लगाई जाए कि वो अपन कचरा नदियों और तालाबों में न बहाए | शहरों से निकलनेवाले कचरे को भी ठीक से परिमार्जित किये बिना पानी के स्रोतों में न बहाया जाए | खेती में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बंद किया जाए व उसके बदले जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए |

जल प्रदूषण ने अब आपातकाल का रूप ले लिया है | ऐसे में हमें तत्काल कई बड़े कदमों की जरुरत है | यदि हम चाहते हैं कि हमारे देशवासियों को सुरक्षित पीने का पानी मिलता रहे और पानी के स्रोत लंबे समय तक सुरक्षित रहे तो हमें आज से ही उसके लिए कदम उठाने पड़ेंगे | इस मामले में और देरी करना घातक सिद्ध हो सकता है | ( Water pollution in Hindi )


Answered by Rehanlover
2

Answer:

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनो में मिल जाते है। तो इसके कारण कई सारे नकरात्मक प्रभाव उत्पन्न होते है। प्रदूषण मुख्यतः मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होते है और यह हमारे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करता है।

इस घटना की चर्चा यहाँ इसलिए की, क्योंकि यह औद्योगिकीकरण के कारण हुए प्रदूषण का उदाहरण है। इतना ही नहीं, 6 से 9 अगस्त, 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में किए गए एटॉमिक बम अटैक के कारण हुए भयंकर परिणाम से पूरी दुनिया वाक़िफ है। उसके कारण हुए वायु-प्रदूषण से जापान आज तक उबर नहीं पाया है। अटैक के कारण विनाशकारी गैसें सम्पूर्ण वायु-मंडल में समा गयी थी।

है।

प्रदूषण के प्रकार

1.वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

2.जल प्रदूषण

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

3.भूमि प्रदूषण

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

4.ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

5.प्रकाश प्रदूषण

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

6.रेडियोएक्टिव प्रदूषण

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

7.थर्मल प्रदूषण

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

8.दृश्य प्रदूषण

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर

एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

प्रदूषण कम करने के उपाय

जब अब हम प्रदूषण के कारण और प्रभाव तथा प्रकारों को जान चुके हैं, तब अब हमें इसे रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिये गये कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते है।

1.कार पूलिंग

2.पटाखों को ना कहिये

3.रीसायकल/पुनरुयोग

4.अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर

5.कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके

6.पेड़ लगाकर

7.काम्पोस्ट का उपयोग किजिए

8.प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके

9.रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर

10.कड़े औद्योगिक नियम-कानून बनाकर

11.योजनापूर्ण निर्माण करके

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।.................

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