Hindi, asked by mansimrankaur1382, 1 year ago

essay on winter carnival held in school in hindi

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Answered by swamidaya34gmailcom
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शीत' ऋतु का आगमन वर्षा ऋतु के पश्चात् होता है। शीत ऋतु भारत की मुख्य ऋतुओं में से एक ऋतु है। शीत ऋतु नवंबर से लेकर फरवरी के बीच तक रहती हैं। शीत ऋतु अपने साथ त्यौहारों की बहार लेकर आती है। दीपावली, दशहरा, नवरात्र, दुर्गा पूजा, भईया दूज, क्रिसमिस आदि इस ऋतु में आने वाले प्रमुख भारतीय त्यौहार हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु उत्तम होती है क्योंकि इस ऋतु में पाचन शक्ति मजबूत होती है। 

शीत ऋतु में दिन छोटे व रातें बड़ी हो जाती हैं। शीत ऋतु के मध्य में पूरा भारत सर्दी के कारण ठिठुरने लगता है। लोग अपने-अपने घरों में ऊनी कपड़े व रजाई निकाल लेते हैं। अत्यधिक ठंड से व कोहरे से जन-जीवन अस्त-व्यस्त होने लगता है। सुबह सवेरे कोहरे का आंतक छाया रहता है। रेल यात्रा और हवाई यात्राएँ पर इसका खासा असर दिखाई पड़ता है। अत्यधिक ठंड कई लोगों की मृत्यु का कारण भी बन जाती है।  
Answered by preetykumar6666
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शीतकालीन कार्निवल त्योहार:

विंटर कार्निवाल फेस्टिवल का आयोजन स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल में सर्दियों के मौसम को मनाने और छात्रों की प्रतिभा को एक मंच देने के उद्देश्य से किया गया था।

स्कूली छात्रों ने इसमें उत्साह से भाग लिया और फन एक्टिविटीज और फन गेम्स में प्रतिभा दिखाई। इसके अलावा छात्रों द्वारा फूड स्टॉल भी लगाए गए थे, जहां देश के विभिन्न क्षेत्रों के विशेष व्यंजन पेश किए गए थे।

इससे पहले, कार्यक्रम का उद्घाटन स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य डी.एस. राघव ने किया था। उन्होंने अपने बयान में स्कूल की इस अनूठी पहल की सराहना की और कहा कि यह केवल एक ऐसी रचनात्मक घटना के माध्यम से है जो बच्चे सबसे ज्यादा सीखते हैं और भविष्य के लिए खुद को तैयार करने में सक्षम होते हैं।

विंटर कार्निवाल फेस्टिवल की ख़ासियत यह है कि इसे छात्रों और शिक्षकों ने स्वयं आयोजित किया था। कार्यक्रम में सांस्कृतिक गतिविधियों में सोलो सॉन्ग, ग्रुप सॉन्ग, डांस, रैप सॉन्ग, कव्वाली, फोक गीत, शिवतांडव, सूफी गीत, भजन, आदि ने सभी का दिल जीत लिया। छात्रों के समूह ने मजेदार गतिविधियाँ भी आयोजित कीं, जिनमें टोम्बोला, शूट ट्रिक, पज़ल, सेल्फी पॉइंट, मेहंदी कॉर्नर आदि खास हैं।

कार्निवल में AISECT समूह के अध्यक्ष संतोष चौबे और कीट समूह के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने भाग लिया। संतोष चौबे ने कहा कि कार्निवल में बच्चों द्वारा लगाए गए स्टॉल के माध्यम से बच्चों को रचनात्मक के साथ-साथ उद्यमशीलता के कौशल में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि छात्रों को हमेशा आगे बढ़ना चाहिए और इस तरह के आयोजन में भाग लेना चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में प्रिंसिपल प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी गैर-विश्वासियों, शिक्षकों और छात्रों को कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए बधाई दी।

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