Hindi, asked by sailaja6636, 9 months ago

Essay on yadi manushaya nahi hota

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Answered by indravadanpanchal197
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Answered by priyankamgem
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जहाँ एक तरफ मानव जीवन में सुधार हुआ है और विभिन्न तरीकों से प्रगति भी हुई है लेकिन इस प्रगति के कई नकारात्मक नतीजे भी हैं। इनमें से एक पर्यावरण पर इसके प्रभाव है। औद्योगिक क्रांति समाज के लिए वरदान साबित हुई है। कई लोगों को नौकरी मिल गई और कई नए उत्पादों का मनुष्य के जीवन को आरामदायक बनाने के लिए उत्पादन किया गया। तब से कई उद्योग स्थापित किए गए हैं। हमारे उपयोग के लिए कई उत्पादों का प्रत्येक दिन निर्माण किया जा रहा है। हमारी जीवनशैली का स्तर बढ़ाने के लिए इन उद्योगों में दोनों दिन-प्रतिदिन की वस्तुएं और लक्जरी वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है। जैसे-जैसे जीवन शैली का स्तर बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे पृथ्वी पर जीवन का स्तर बिगड़ता जा रहा है। उद्योगों और वाहनों की बढ़ती संख्या ने हवा, पानी और भूमि प्रदूषण को बढ़ा दिया है।

यह प्रदूषण पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रहा है। प्रदूषण को बढ़ाने के लिए कई अन्य मानव अभ्यास भी योगदान दे रहे हैं। इससे जैव विविधता प्रभावित हुई है और यह मनुष्य के साथ-साथ अन्य जीवित प्राणियों में भी कई बीमारियों को पैदा कर रहा है।

मनुष्य का विकास हुआ और जिस तरह से वह शुरुआती समय में रहता था अब वह उससे बिल्कुल अलग है। शुरुआती समय का आदमी निश्चित रूप से शारीरिक रूप से मजबूत था और आधुनिक समयके मानव की तुलना में अधिक फिट भी था। हालांकि अगर मानसिक पहलू की बात करे तो यह समय के साथ कई गुना बढ़ गया है। मानव मस्तिष्क शक्ति बढ़ी है और लगातार अभी भी बढ़ रही है। जो आविष्कार हमने किए हैं उनके द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है। जिस तरह से पाषाण युग में मनुष्य रहता था उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते।

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