essay : प्रदूषण कारण एंव निवारण
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आज सारा विश्व प्रदूषण से आक्रान्त है क्योंकि, जनसंख्या का बढ़ता दबाव, आधुनिक औद्योगीकरण की प्रगति तथा इसके कारण वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं की संख्या व प्रजातियों में दिन-प्रतिदिन होने वाली कमी ने पारिस्थितिकीय तन्त्र के असंतुलन को जन्म दिया है। कामयाबी की चकाचौंध के फलस्वरूप पर्यावरण सम्बंधी जागरूकता विकास तथा सभ्यता के बढ़ने के साथ-साथ प्रकृति पर मानव का वर्चस्व बढ़ता गया है, जो आज पर्यावरण के मुख्य आधार वायु, जल, भूमि आदि को प्रदूषित कर मानव जीवन के लिये घातक बन गया है।
पर्यावरण और मानव जीवन का बड़ा ही गहरा सम्बंध रहा है। वास्तव में दैनिक रहन-सहन एवं श्वास-प्रश्वास की प्रक्रिया के फलस्वरूप दोनों एक दूसरे से हर पल, हर क्षण जुड़े रहते हैं। मानव जब असभ्य था तब वह प्रकृति के अनुसार जैविक क्रियाएं करता था और प्राकृतिक सन्तुलन बना रहता था। किन्तु सभ्यता के विकास ने मानव को विलासी बना दिया है। विकास के नाम पर मानव की दानव प्रकृति ने प्राकृतिक सम्पदा को रौंद डाला है।
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प्रदूषण का प्रमुख कारण है औद्योगीकरण की तीव्र गति एवं वैज्ञानिक प्रगति। जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि हो रही है, वैसे-वैसे हमें अधिक कृषि उत्पादन की आवश्यकता पड़ रही है। ... जिससे आसमान में धुआँ उगलती चिमनियां वायु को प्रदूषित कर रही हैं तथा नदियों में हानिकारक रसायन मिलने से जल प्रदूषित हो रहा है।