essay :- vidhyarti jeevan mai anushaashan
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अनुशासन क्या है? अनुशास्यते नैन। अर्थात स्वयं का स्वयं पर शासन। अनुशासन शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है। अपने ऊपर स्वयं शासन करना तथा शासन के अनुसार अपने जीवन को चलाना ही अनुशासन है।
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अनुशासन राष्ट्रीय जीवन के लिए बे ह द जरूरी है। यदि प्रशासन, स्कूल, समाज,परिवार सभी जगह सब लोग अनुशासन में रहेंगे और अपने कर्त्तव्य का पालन करेंगे, अपनी ज़िम्मेदारी समझेंगे तो कहीं किसी प्रकार की गड़बड़ी या अशांति नहीं होगी। नियम तोड़ने से ही अनुशासनहीनता बढ़ती है तथा समाज में अव्यवस्था पैदा होती है। बड़े होकर अनुशासन सीखना कठिन है।
अनुशासन का पाठ बचपन से परिवार में रहकर सीखा जाता है। विद्यालय जाकर अनुशासन की भावना का विकास होता है। अच्छी शिक्षा विद्यार्थी को अनुशासन का पालन करना सिखाती है। सच्चा अनुशासन ही मनुष्य को पशु से ऊपर उठाकर वास्तव में मानव बनता है। भय से अनुशासन का पालन करना सच्चा अनुशासन नहीं है और ना ही अनुशासन पराधीनता है। यह सामाजिक तथा राष्ट्रीय आवश्यकता है।
देश में व्याप्त तमाम समस्याओं के निराकरण के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को अनुशासनप्रिय होना चाहिए।
अनुशासनप्रिय होने के लिए हमें स्वप्रेरणा के आधार पर कार्य करना होगा।
अनुशासन से अभिप्राय नियम, सिद्धान्त तथा आदेशों का पालन करना है। जीवन को आदर्श तरीके से जीने के लिए अनुशासन में रहना आवश्यक है। अनुशासन का अर्थ है, खुद को वश में रखना।
अनुशासन के बिना व्यक्ति पशु के समान है। विद्यार्थी का जीवन अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहलाता है। विद्यार्थी को विद्यालय के नियमों पर चलना होता है। शिक्षक का आदेश मानना पड़ता है। ऐसा करने पर वह योग्य, चरित्रवान व आदर्श नागरिक कहलाता है।
विद्यार्थी जीवन में ही बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक गुणों का विकास होता है अत: उसका भविष्य सुखमय बनाने के लिए अनुशासन में रहना जरूरी है। किसी काम को व्यवस्था के साथ-साथ अनुशासित होकर करते हैं तो उस कार्य को करने में कोई परेशानी नहीं होती। इसके अलावा कार्य करते समय भय, शंका एवं गलती होने का डर नहीं होता है। इसलिए सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासन में रहना जरूरी है।
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किसी भी व्यक्ति के लिए विद्यार्थी जीवन अत्यंत महत्वपूर्ण है। छात्र जीवन में ही सीखी गई बातें आगे के जीवन में काम आता है। अगर छात्र विद्यार्थी जीवन में अपने समय का सदुपयोग करते हैं और ज्यादा से ज्यादा शिक्षा ग्रहण करते हैं तो आगे के भविष्य में उन्हें बहुत फायदा पहुंचता है। छात्र जीवन में अनुशासन का अत्यंत महत्व है क्योंकि अगर छात्रों में अनुशासन का अभाव होगा तो वह उपयोगी शिक्षा ग्रहण करने की जगह गलत चीजों में अपना समय नष्ट करेंगे। ज्यादातर छात्र कम उम्र के होते हैं उन्हें सही या गलत की बहुत अच्छे से परख नहीं होती है, अगर उनमें अनुशासन की कमी होगी तो वह आसानी से गलत रास्ते पर जा सकते हैं और एक बार गलत रास्ते पर जाने के बाद फिर से वापस सही रास्ते पर आने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
माता-पिता और शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यार्थी अनुशासित जीवन जी रहा है और अगर विद्यार्थी अनुशासन बनाए रखने में कष्ट महसूस कर रहा है तो इसका कारण समझना चाहिए और जिस भी कारणों से बच्चों को अनुशासन का पालन करने में कठिनाइयां आ रही हो तो उस कारण को दूर करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि छात्र जीवन ही आदमी के आगे के जीवन का आधार है। जब तक छात्र कुछ सीख रहा है उसे सीखने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि बहुत सारे विद्यार्थी सिर्फ परीक्षा के समय ही अच्छी तरह पढ़ाई करते हैं और बाकी समय खेलते-कूदते रहते है, उन्हें यह नहीं पता होता है कि विद्यार्थी जीवन का समय कितनी जल्दी बीत जाता है और उनका यह कीमती समय नष्ट हो जाता है इसलिए विद्यार्थी को अनुशासन में रहना चाहिए।
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