Hindi, asked by palak5852, 11 months ago

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Answered by manthan1608
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इस बार मेरा जन्मदिन आया तो घर में पार्टी की तैयारियाँ होने लगीं । घर में ही एक शामियाना लगाया गया । माँ ने पड़ोसियों को दावत का न्यौता दिया । पिताजी ने मित्रों और निकट पडोसियों को फोन पर आमंत्रित किया । मैंने भी अपने मित्रों को घर आने का आमंत्रण दिया । खाना बनाने का प्रभार रसोइयों को सौंपा गया । आमंत्रित अतिथियों को खिलाने के लिए कुर्सियाँ और मेजें मँगवाई गई । घर को साफ कर विशेष सजावट की गई । केक के लिए दो दिन पहले ही आदेश दे दिए गए ।

आखिर मेरे जन्मदिन की तिथि आ ही गई । घर में प्रात -काल से ही चहल-पहल शुरू हो गई । तेरहवें जन्मदिन पर ईश्वर का आभार प्रकट करने मैं अपने माता-पिता के साथ मंदिर गया । मैंने ईश्वर की पूजा कर ली तो पुजारी जी ने मस्तक पर तिलक लगाया और भगवान का प्रसाद दिया । पिताजी ने मंदिर में गरीब लोगों को मेरे हाथों दान दिलवाए ।

हम लोग घर लौट आए । घर में पार्टी की तैयारियाँ आरंभ हो चुकी थीं । रसोइए पूड़ी, सब्जी, मिठाई, रायता आदि बनाने में जुटे हुए थे । निकट संबंधियों का आगमन आरंभ हो गया था । उन्हें मेहमानखाने में बिठाया गया । शाम हो गई । मैंने नए कपड़े पहने । इतने में मेरे सहपाठी और मित्र भी आ गए । घर में पड़ोस के बच्चों का जमावड़ा आरंभ हो गया । घर के बड़े कमरे में केक सजाया गया । तेरहवें जन्मदिन पर तेरह मोमबत्तियाँ जलाई गई । लोग केक वाली टेबल के चारों ओर खडे हो गए । मैंने केक काटा तो लोगों ने समवेत स्वर में मुझे जन्मदिन की बधाई दी । कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा । माँ ने मुझे केक खिलाया । उन्होंने सभी आगंतुकों में भी केक, मिठाई, नमकीन और टॉफियाँ बीटी । बड़ा ही आनंददायक दृश्य था । कक्ष में गुब्बारे और झालरें टँगी हुई थीं । इस दृश्य को मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया गया ।


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palak5852: ok
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