Essay writing on My Favourite Freedom Fighter
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मेरे पसंदीदा स्वतंत्रता सैनानी है डॉ भीमराव अंबेडकर
वह स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री और भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे |उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया | श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया | बाबा साहेब को भारतीय संविधान का आधारस्तंभ माना जाता है |
उन्होंने हिंदू धर्म में व्याप्त छूआछूत, दलितों, महिलाओं और मजदूरों से भेदभाव जैसी कुरीति के खिलाफ आवाज बुलंद की और इस लड़ाई को धार दी | वे महार जाति से ताल्लुक रखते थे, जिसे हिंदू धर्म में अछूत माना जाता था | उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से उन्हें कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था |
आर्थिक मुश्किलों के साथ ही उन्हें हिंदू धर्म की कुरीतियों को सामना भी करना पड़ा और उन्होंने इन कुरीतियों को दूर करने के लिए हमेशा प्रयास किए | उसके बाद अक्टूबर, 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया जिसके कारण उनके साथ लाखों दलितों ने भी बौद्ध धर्म को अपना लिया | उनका मानना था कि मानव प्रजाति का लक्ष्य अपनी सोच में सतत सुधार लाना है |
अंबेडकर जी को आजादी के बाद संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त, 1947 को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया फिर उनकी अध्यक्षता में दो वर्ष, 11 माह, 18 दिन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ | कहा जाता है कि वे नौ भाषाओं के जानकार थे | इन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानद उपाधियाँ मिली थीं | इनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं | उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था |