Hindi, asked by nareshjivasolaow2c1h, 1 year ago

essays on hamara priy neta in hindi

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Answered by Sujalbadgujar
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मेरे प्रिय नेता महात्मा गांधी जी हैं। महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर सन 1869 में पोरबन्दर में हुआ था। मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गए। वहां से लौटने पर उन्होंने वकालत प्रारंभ क़ी।

गाँधी जी का सार्वजानिक जीवन दक्षिण अफ्रीका में प्रारंभ हुआ। उन्होंने भारतीयों क़ी सहायता क़ी। उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन प्रारंभ किया। उन्होंने अनेक कष्ट सहे। उनको अपमानित किया गया। अंत में उन्हें सफलता मिली।

गाँधी जी भारत वापस आये और स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वह कई बार जेल गए। अब सारा देश उनके साथ था। लोग उन्हें राष्ट्रपिता कहने लगे। अंत में भारत को 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

गाँधी जी सादा जीवन बिताते थे। वह 'सादा जीवन, उच्च विचार' को मानने वाले थे। उन्होंने हमको 'अहिंसा' का पाठ पढ़ाया। वह एक समाज सुधारक थे। उन्होंने छुआ-छूत को दूर करने का प्रयत्न किया। उन्होंने गॉवों कि दशा सुधारने का पूरा प्रयत्न किया। उन्हें भारत के 'राष्ट्रपिता' के रूप में जाना जाता है
Answered by no4
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Heyaa folk,

✪ हमारे प्रिय नेता ✪

निष्काम कर्मयोगी, सत्य, अहिंसा, त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति महात्मा गाँधी उन विभूतियों में से एक हैं, जिन्होंने भारतीय आदर्श को संसार में स्थापित कराया । इनके कर्त्तव्य से अभिभूत होकर ही देशवासी इन्हें ‘ बापू ‘ के नाम से सम्बोधित करते हैं । पूज्य बापू करनी एवं कथनी में एक थे । इसीलिए विश्व ने उनके समक्ष श्रद्धा से अपना सिर झुकाया ।

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात प्रांत के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था । इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था । उनके पिता करमचंद गाँधी तथा माता पुतलीबाई ने इन्हें प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही दिलायी ।

हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के बाद ये इंग्लैण्ड गए और बैरिस्टर बनकर 1881 ई. में भारत लौटे । भारत तौटने पर इन्होंने अपनी वकालत मुम्बई में शुरू की । लेकिन जल्दी ही एक गुजराती व्यापारी के मुकद्दमे के क्रम में दक्षिण अफ्रीका चले गये, जहाँ उन्होंने अंग्रेजों को भारतीयों पर जुल्म करते देखा । गाँधीजी ने ऐसे जुल्म को देखकर इसका विरोध करना शुरू किया।

फलत: इन्हें अंग्रेजों द्वारा दी गयी अनेक यातनाएं सहनी पड़ी । लेकिन गाँधीजी ने अपनी लड़ाई जारी रखते हुए अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया । भारतीयों को अनेक सुविधाएँ मिलीं, जिस कारण गाँधीजी का नाम सारे संसार में फैल गया ।

गाँधीजी ने अपने नेतृत्व में कई आन्दोलन चलाए । उनका सबसे पहला आन्दोलन असहयोग का था, जिसे उन्होंने 1921 ई. में चलाया । फिर 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया । अगस्त 1942 ई. में गाँधीजी ने ‘ करो या मरो ‘ का नारा दिया और ‘ अंग्रेजों भारत छोड़ो ‘ की आवाज बुलन्द की । गाँधी और इनके अनुयायी गिरफ्तार कर लिए गए । इस पर जनता क्रुद्ध हो गयी और उसने भीषण आन्दोलन छेड़ दिया । सरकार ने भी बदले की कार्रवाई में अपना दमन-चक्र चलाया । बहुतों को अपनी जान गेंवानी पड़ी और लाखों लोग जेल में डाले गए ।

स्वतंत्रता-संग्राम में सत्य और अहिंसा गाँधीजी के अमोघ अस्त्र थे, जिसके आगे अन्तत: अंग्रेजों को झुकना ही पड़ा और देश को स्वतंत्र कर उन्हें इंग्लैण्ड लौटना पड़ा । 15 अगस्त, 1947 को देश स्वतंत्र हुआ और गाँधीजी के सफल आन्दोलन का अंत हो गया ।

गाँधीजी ने केवल राजनीतिक लड़ाई ही नहीं लड़ी, बल्कि सामाजिक- आर्थिक लड़ाई में भी वे लगे रहे । गाँधीजी में सेवा- भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी । दलितों एवं पीड़ितों के प्रति उनमें असीम प्रेम था । गाँधीजी हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी को एक-समान मानते थे । उनका विश्वास समग्र के विकास में था । वसुधैव कुटुम्बकम् ही उनका मूल मंत्र था ।

30 जनवरी, 1948 की संध्या का समय देश के दुर्भाग्य कर समय था । नाथूराम गोडसे की गोली से आहत वे राम-राम कहते हुए स्वर्ग सिधार गए । केवल भारत ही नहीं, सारा संसार उनकी इस निर्मम हत्या से स्तब्ध रह गया । परन्तु, अपने सुकर्मों की वजह से गाँधीजी मर कर भी अमर हो गए ।

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- no4 ✯ Brainly Star ✯
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