essey..gyan ka sabse bda satru agyanta nahi balki gyan hone ka bhram hi.
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ज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञानता नहीं बल्कि ज्ञान होने का भ्रम है |
Explanation:
ज्ञान का सबसे बड़ा शत्रु अज्ञानता नहीं बल्कि ज्ञान होने का भ्रम है। अज्ञानी व्यक्ति हमेशा सभा में अपने वचनों को बोलने से पहले दो बार सोचता है लेकिन एक ऐसा व्यक्ति जिसे भ्रम होता है कि उसे बहुत ज्ञान है वह कुछ भी बिना सोचे समझे बोल पड़ता है और जिसके उसे भयानक परिणाम झेलने पड़ते हैं।
ज्ञानी व्यक्ति परिस्थिति का आकलन करता है उसके पश्चात वह अपने शब्दों को मुख से निकालता है जबकि एक अज्ञानी व्यक्ति भी कई बार बोलने से पहले सोच लेता है लेकिन जिन लोगों को यह भ्रम होता है कि उन्हें ज्ञान है यह कभी भी ऐसा कुछ नहीं सोचते हैं और केवल अपनी मूर्खतापूर्ण बातें सबके सामने करने लगते हैं।
कई बार अज्ञानी व्यक्ति भी मूर्खता वाली बातें अवश्य करते हैं लेकिन वे अपने ज्ञानी होने का भ्रम नहीं पालते हैं इसलिए यह ज्ञान के सबसे बड़े शत्रु नहीं है बल्कि जो लोग ज्ञान होने का भ्रम पालते हैं वही ज्ञान के सबसे बड़े शत्रु हैं। मूर्ख व्यक्ति जो स्वयं को ज्ञानी समझता है सदैव ऐसे प्रयास करता है जिससे वह समझदार और बुद्धिमान समझा जाए लेकिन उसकी सभी तरकीबें तब खराब हो जाती है जब वह अपने मुख से वचनों को बोलने लगता है।
जिन व्यक्तियों को ज्ञानी होने का भ्रम होता है वह स्वयं को ज्ञानी दिखाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं लेकिन लोगों को उनकी बुद्धिमता से पता चल जाता है कि वह कितने ज्ञानी है। जो लोग यह भ्रम पालते हैं कि वह ज्ञानी है वह सदैव स्वयं को सबसे आगे रखते हैं और अपनी बातों को सबसे ऊपर। ज्ञान होने का भ्रम पालने वाले व्यक्तियों की विशेषता ही यही होती है कि वह अपने सामने किसी की नहीं सुनते हैं और केवल अपनी ही गाते रहते हैं। जबकि एक ज्ञानी व्यक्ति कदापि ऐसा नहीं करता वह अपने बोलने से पहले बाकी सब को बोलने का पर्याप्त अवसर देता है और उसके बाद स्वयं अपने विचारों को सबके सामने प्रकट करता है।
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