World Languages, asked by pawanmishra4248, 10 months ago

Europe me rashtravad in Hindi ​

Answers

Answered by HackerGaurav
0

Explanation:

Bkp YouTube pe dekh lo ook

Answered by vish143690
18

hey mate your answer is here

राष्ट्रवाद: उस विचारधारा को राष्ट्रवाद कहते हैं, जो किसी भी राष्ट्र के सदस्यों में एक साझा पहचान को बढ़ावा देती। राष्ट्रवाद की भावनाओं की जड़ें जमाने के लिये कई प्रतीकों का इस्तेमाल किया जाता है; जैसे राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय प्रतीक, राष्ट्रगान, आदि।

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय: आज के यूरोपीय राष्ट्रों की बजाय उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप कई क्षेत्रों में बँटा हुआ था जिन पर अलग-अलग वंश के लोगों का शासन हुआ करता था। उस जमाने में राजतंत्र का बोलबाला था। लेकिन उस जमाने में कुछ ऐसे तकनीकी बदलाव हुए जिनके परिणामस्वरूप समाज में गजब के परिवर्तन हुए। उन्हीं परिवर्तनों से लोगों में राष्ट्रवाद की भावना का जन्म हुआ।

1789 में शुरु होने वाली फ्रांस की क्रांति के साथ राष्ट्रवाद के आंदोलन की शुरुआत हो चुकी थी। हर नई विचारधारा को अपनी जड़ें जमाने में एक लंबा समय लगता है। राष्ट्रवाद को अपनी जड़ें जमाने में लगभग एक सदी का समय लग गया। इस लंबी प्रक्रिया की परिणति के रूप में फ्रांस एक प्रजातांत्रिक देश के रूप में उभरा। फिर यह सिलसिला यूरोप के अन्य भागों में फैल गया। बीसवीं सदी की शुरुआत होते होते विश्व के कई भागों में आधुनिक प्रजातंत्र की स्थापना हुई।

फ्रांसीसी क्रांति

राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति: फ्रांस वह देश था जहाँ राष्ट्रवाद की पहली अभिव्यक्ति हुई। फ्रांसीसी क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस की राजनीति और संविधान में कई बदलाव हुए। सन 1789 में सत्ता राजतंत्र से प्रजातांत्रिक संस्था के हाथों में चली गई। इस प्रजातांत्रिक संस्था का गठन नागरिकों द्वारा हुआ था। उस घटना से लोगों को लगने लगा कि आगे से फ्रांस के लोग अपने देश का भविष्य स्वयं तय करेंगे।

राष्ट्र की भावना की रचना:

लोगों में एक साझा पहचान की भावना स्थापित करने के लिए क्रांतिकारियों ने कई कदम उठाए। उनमें से कुछ नीचे दिये गये हैं:

एक पितृभूमि और उसके नागरिकों की भावना का प्रचार किया गया ताकि एक ऐसे समाज की अवधारणा को बल मिले जिसमें लोगों को संविधान से समान अधिकार प्राप्त थे।

राजसी प्रतीक के स्थान पर एक नए फ्रांसीसी झंडे का इस्तेमाल किया गया जो कि तिरंगा था।

इस्टेट जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों द्वारा हुआ। इस्टेट जेनरल का नाम बदलकर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।

राष्ट्र के नाम पर नए स्तुति गीत लिखे गए और शपथ लिए गए।

शहीदों को नमन किया गया।

सभी नागरिकों के लिये एक जैसे कानून वाली एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था बनाई गई।

फ्रांस के भूभाग में प्रचलित कस्टम ड्यूटी को समाप्त किया गया।

भार और मापन की एक मानक पद्धति अपनाई गई।

क्षेत्रीय भाषाओं को दरकिनार किया गया और फ्रेंच भाषा को राष्ट्र की आम भाषा के रूप में प्रोत्साहन दिया गया।

क्रांतिकारियों ने घोषणा की कि यूरोप के अन्य भागों से तानाशाही समाप्त करना और उन भागों में राष्ट्र की स्थापना करना भी फ्रांस के लोगों का मिशन होगा।

यूरोप के अन्य भागों पर प्रभाव:

फ्रांस में होने वाली गतिविधियों से यूरोप के कई शहर प्रभावित हुए। इन शहरों में शिक्षित मध्यवर्ग के लोगों और छात्रों ने जैकोबिन क्लब बनाना शुरु किया। इन क्लबों की गतिविधियों के कारण फ्रांस की सेना द्वारा घुसपैठ का रास्ता साफ हुआ। इसी का नतीजा था कि 1790 के दशक में फ्रांस की सेना ने हॉलैंड, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड और इटली के एक बड़े हिस्से में घुसपैठ कर ली थी। इस तरह फ्रांसीसी सेना द्वारा अन्य देशों में राष्ट्रवाद का प्रचार करने का काम शुरु हुआ।

नेपोलियन

नेपोलियन 1804 से 1815 के बीच फ्रांस का राजा था। अपने दुस्साहसी कदमों के कारण नेपोलियन ने इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। उसने फ्रांस में प्रजातंत्र को बरबाद कर दिया और फिर से वहाँ राजतंत्र की स्थापना की। लेकिन उसने कई ऐसे सुधारवादी कदम उठाये जिसके दूरगामी परिणाम हुए। नेपोलियन ने 1804 में सिविल कोड लागू किया, जिसे नेपोलियन कोड भी कहा जाता है। इस नये सिविल कोड से जन्म के आधार पर मिलने वाली हर सुविधा समाप्त हो गई। हर नागरिक को समान दर्जा मिला और संपत्ति के अधिकार को पुख्ता किया गया। नेपोलियन ने फ्रांस की तरह अपने नियंत्रण वाले हर इलाके में प्राशासनिक सुधार को अंजाम दिया। उसने सामंती व्यवस्था को खत्म किया, जिससे किसानों को दासता और जागीर को दिये जाने वाले शुल्कों से मुक्त किया गया। शहरों में प्रचलित शिल्प मंडलियों द्वारा लगाई गई पाबंदियों को भी समाप्त किया गया। यातायात और संचार के साधनों में सुधार किये गये।

जनता की प्रतिक्रिया:

एक समान कानून और मानक मापन पद्धति और एक साझा मुद्रा से व्यवसाय में होने वाले लाभ की समझ आम आदमी को आ गई थी। इसलिये इस नई आजादी का किसानों, कारीगरों और मजदूरों ने खुलकर स्वागत किया।

Hope it helps u

Mark me as Brainliest !

Similar questions