एवियल क्या होता है और एवियल कौन सी जगह बनता है, वह क्या है और उसकी कहानी?
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Explanation:
शक्तिशाली राज्य ‘रोम’ में भित्ति चित्रों में प्रभाववादी शैली के दर्शन होते हैं। यह तकनीकी यहाँ की विशिष्ट तकनीक में से है। इसमें शीघ्रता से लगाए तूलिका घातों से दृश्य चित्रों में प्रकाश का क्षणिक प्रभाव इन चित्रकारों ने सुन्दरता से रंगों में दर्शाया है। ऑडिसी दृश्य, पाम्पियाई प्रभाववादी शैली का सर्वश्रेष्ठ चित्र है। इसी पद्धति से बना ‘ट्रोजन-अश्व’ में रात्रि का रहस्यमयी वातावरण और उसमें अग्रभूमि में काष्ठ के अश्व को खींचती हुई प्रकाशयुक्त आकृतियों का चित्र नाटकीय लगता है। ये दृश्य चित्र उस स्थान विशेष और तत्कालीन वातारवरण को दर्शाते हैं। यूरोप में अधिकाशतः ठंडा और धुन्ध भरा वातावरण होता है अतः चित्रों में अधिकाशतः शीत और धुंधले रंगों का प्रयोग होता है। रोमांटिज्म (स्वच्छन्दतावाद) में शास्रीय नियमों की शिथिलता से दृश्य चित्र बने और 19वीं सदी में प्रभाववाद आने से दृश्य चित्रों का महत्व बढ़ गया। टर्नर मोने, माने और जार्ज स्यूरत ने विशिष्ट (Pointelism) में दृश्य चित्र बनाए। इन दृश्य चित्रकारों ने रेखाओं और रंगों के सामंजस्य से द्विआयामी तल पर त्रिआयामी दृश्य चित्र परिप्रेक्ष्य सहित बनाए।
पूर्वी देशों में भारत के साथ ही चीन और जापान में भी दृश्य चित्रण प्रमुखता से हुआ है। भारत में प्रकृति और पुरूष की कल्पना की उसी प्रकार चीनी चित्रकला दर्शन में यीन और यांग की कल्पना की। यीन भूमि तत्व होने के कारण भूमि, जल, पेड़, पहाड़ तथा स्त्री को ‘यीन’ प्रतीकात्मक रूप दर्शाता है। ‘यांग’ स्वर्ग अग्नि तथा पुरूष का प्रतीक माना गया है। यीन और यांग एक दूसरे के पूरक हैं। चीनी चित्रकला में यीन और यांग के अतिरिक्त पंच तत्व जल, अग्नि, लकड़ी, धातु एवं भूमि का भी महत्व है। जिनसे यहाँ का पर्यावरण बनता है। यीन और यांग के सन्तुलन में जब भी असन्तुलन होता है, तो इसका प्रभाव मौसम पर होता है। जल (यीन) में ताप (यांग) का प्रभाव बढ़ता है, तो वह भाप बनकर आकाश की ओर उठता है क्योंकि ‘यांग’ आकाशीय तत्व है। चीनी पर्यावरण के पंच तत्व के पाँच दिशाओं, पाँच रंगों और पाँच पवित्र पशुओं से जोड़ा गया। यीन और यांग की गतिविधियाँ ही विश्व निर्माण का कारण हैं।
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