'एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा पाठ के आधार पर बचेंद्री के
चरित्र की किन्ही चार विशेषताओ
का वर्णन कीजिए
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Class 9.
Answers
‘एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा’ पाठ के आधार पर बछेंद्री पाल के चरित्र की चार प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं...
- बछेंद्री पाल एक मजबूत मानसिक मनोबल वाली और दृढ़ इरादों वाली महिला थी जो पर्वतारोहण की कठिन और विपरीत परिस्थितियों में अपने निश्चय से डगमगाती नही है। कठिन परिस्थितियों पर पर्वतारोहियों ही साथियों के लाख कहने पर भी अपनों को बीच में छोड़कर वापस आने से साफ मना कर देती है।
- बचेंद्री पाल सहयोगी प्रवृत्ति की महिला थी, जो अपने अभियान दल के सदस्यों के साथ सहयोग पूर्ण व्यवहार रखती थी। वह अपने साथियों के लिए खाना और चाय भी बनाती थी तथा ये प्रयास करती कि अधिक से अधिक सामान वह स्वयं ढो सके। कोई भी दुर्घटना होने पर घबराती नहीं है और दूसरों की हौसला अफजाई करती रहती थी।
- बछेंद्री पाल आध्यात्मिक प्रवृत्ति और अपने माता पिता का सम्मान करने वाली महिला भी थी और इस कठिन परिस्थितियों में अपने आराध्य और माता पिता का स्मरण करके उन्होंने अपने विजय अभियान को प्राप्त किया।
- बचेंद्री पाल में धैर्य और लग्न की भावना मजबूत थी। ऐसे बड़े अभियानों में अक्सर धैर्य की बड़ी आवश्यकता होती है। वह अपने मनोबल को गिरने नहीं देती और किसी भी आपदा से निपटने के लिये शारीरिक और मानसिक रूप से पहले से ही तैयार रहती थीं।
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Answer:
‘एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा’ पाठ के आधार पर बछेंद्री पाल के चरित्र की चार प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं...
बछेंद्री पाल एक मजबूत मानसिक मनोबल वाली और दृढ़ इरादों वाली महिला थी जो पर्वतारोहण की कठिन और विपरीत परिस्थितियों में अपने निश्चय से डगमगाती नही है। कठिन परिस्थितियों पर पर्वतारोहियों ही साथियों के लाख कहने पर भी अपनों को बीच में छोड़कर वापस आने से साफ मना कर देती है।
बचेंद्री पाल सहयोगी प्रवृत्ति की महिला थी, जो अपने अभियान दल के सदस्यों के साथ सहयोग पूर्ण व्यवहार रखती थी। वह अपने साथियों के लिए खाना और चाय भी बनाती थी तथा ये प्रयास करती कि अधिक से अधिक सामान वह स्वयं ढो सके। कोई भी दुर्घटना होने पर घबराती नहीं है और दूसरों की हौसला अफजाई करती रहती थी।
बछेंद्री पाल आध्यात्मिक प्रवृत्ति और अपने माता पिता का सम्मान करने वाली महिला भी थी और इस कठिन परिस्थितियों में अपने आराध्य और माता पिता का स्मरण करके उन्होंने अपने विजय अभियान को प्राप्त किया।
बचेंद्री पाल में धैर्य और लग्न की भावना मजबूत थी। ऐसे बड़े अभियानों में अक्सर धैर्य की बड़ी आवश्यकता होती है। वह अपने मनोबल को गिरने नहीं देती और किसी भी आपदा से निपटने के लिये शारीरिक और मानसिक रूप से पहले से ही तैयार रहती थीं।
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