example of sarvan Kaushal
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भाषा श्रवण का संबंध ‘कर्ण’ से है। शब्द का अर्थ सामाजिक प्रसंग में सुनने से ग्रहण किया जाता है। छात्र कविता, कहानी, भाषण वाद-विवाद, वार्तालाप आदि का ज्ञान सुनकर ही प्राप्त करता है और उसका अर्थ भी ग्रहण करता है। 2.यदि छात्र की श्रवण इन्द्रियों में दोष है, तो वह न भाषा सीख सकता है और न अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कर सकता है। अत: उसका भाषा ज्ञान शून्य के बराबर ही रहेगा। बालक सुनकर ही अनुकरण द्वारा भाषा ज्ञान अर्जित करता है।
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