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Answer: बहुव्रीहि समास : समस्त पद के दोनों पद (पूर्व पद और उत्तरपद) गौण होते है , ये दोनों मिलकर किसी तीसरे प्रधान (main) पद को संकेत करते है।
उदाहरण : दशानन – दश(ten) आनन(face) है जिसके , यानि की रावण । यहाँ “दश” और “आनन” दोनों मिलाकर तीसरे पद “रावण” की और संकेत करता है।
2) द्वंद्व समास : समस्तपद के दोनों पद (पूर्व पद और उत्तरपद) प्रधान होते है। विग्रह करने पर बीच में “और “, “एवं “,”तथा “,”या ” आदि जैसे शब्द लगाने पड़ते है। उदाहरण : दाल-भात – दाल और भात ।
3) अव्ययीभाव समास : समस्त पद में पहला पद (पूर्व पद ) अव्यय (जैसे की -यथा ,आ,बे,हर ,प्रति आदि ) होता है। (अविकारी शब्द जिनका स्वरूप किसी भी लिंग,वचन काल में प्रयोग करने पर नहीं बदलता है उसे अव्यय कहते है। ) उदाहरण : आजन्म – जन्म लेकर। यहाँ “आ” अव्यय है। जब एक ही शब्द का पुनरावर्तन (repetition) होता है , उसे भी अव्ययीभाव समास कहते है। उदाहरण : रातोंरात – रात ही रात में। यहाँ “रात ” का पुनरावर्तन हो रहा है।i) द्विगु समास : समस्त पद का पहला पद संख्या या परिमाण दर्शाता है,उसे द्विगु समास कहते है। उदाहरण : त्रिलोक – त्रि (तीन) लोकों का समूह। यहाँ “त्रि (तीन ) ” संख्या दर्शाता है।
ii) कर्मधारय समास : पूर्वपद विशेषण (adjective) और उत्तरपद विशेष्य होता है। उदाहरण : महावीर – महान(विशेषण) है जो वीर(विशेष्य). यहाँ “महान ” शब्द “वीर ” का विशेषण है। कर्मधारय समास में एक पद उपमान और एक पद उपमेय भी हो सकता है। उदाहरण : प्राणप्रिय – प्राणों के समान प्रिय।
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Explanation:
1. अव्ययीभाव समास
- यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
- प्रतिदिन = प्रत्येक दिन
- आजन्म = जन्म से लेकर
- घर-घर = प्रत्येक घर
- रातों रात = रात ही रात में
- आमरण = मृत्यु तक
- अभूतपूर्व = जो पहले नहीं हुआ
- निर्भय = बिना भय के
- अनुकूल = मन के अनुसार
- भरपेट = पेट भरकर
- बेशक = शक के बिना
- खुबसूरत = अच्छी सूरत वाली
2.तत्पुरुष समास
- धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ
- राजा का कुमार = राजकुमार
- तुलसीदासकृत = तुलसीदास द्वारा कृत
3.कर्मधारय समास
- चन्द्रमुख - चन्द्रमा के सामान मुख वाला - (विशेषता)
- दहीवड़ा - दही में डूबा बड़ा - (विशेषता)
- गुरुदेव - गुरु रूपी देव - (विशेषता)
- चरण कमल - कमल के समान चरण - (विशेषता)
- नील गगन - नीला है जो असमान - (विशेषता)
4.द्विगु समास
- नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
- दोपहर = दो पहरों का समाहार
- त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह
- पंचतन्त्र = पांच तंत्रों का समूह
- त्रिलोक = तीन लोकों का समाहार
- शताब्दी = सौ अब्दों का समूह
- सप्तऋषि = सात ऋषियों का समूह
- त्रिकोण = तीन कोणों का समाहार
- सप्ताह = सात दिनों का समूह
- तिरंगा = तीन रंगों का समूह
- चतुर्वेद = चार वेदों का समाहार
5. द्वंद्व समास
- जलवायु = जल और वायु
- अपना-पराया = अपना या पराया
- पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
- राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण
- अन्न-जल = अन्न और जल
- नर-नारी = नर और नारी
- गुण-दोष = गुण और दोष
- देश-विदेश = देश और विदेश
6. बहुब्रीहि समास
- गजानन = गज का आनन है जिसका (गणेश)
- त्रिनेत्र = तीन नेत्र हैं जिसके (शिव)
- नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव)
- लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
- दशानन = दश हैं आनन जिसके (रावण)
- चतुर्भुज = चार भुजाओं वाला (विष्णु)
- पीताम्बर = पीले हैं वस्त्र जिसके (कृष्ण)
- चक्रधर= चक्र को धारण करने वाला (विष्णु)