Social Sciences, asked by garima56, 1 year ago

exaplain kashmir problem in hindi

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Answered by Anjalibinodhiya
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Google PR dekh le. na

garima56: nyc answeerr
Anjalibinodhiya: ohh tq
Anjalibinodhiya: kutti tu to bat hi mt kr chod k chali gai thi
garima56: sb isi me bat kregi
Anjalibinodhiya: nii nii
Answered by SourabPardhan
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पहले भारत पर मुसलमानों का शासन रहा, बाद में अंग्रेजों का शासन स्थापित हुआ । अंग्रेजों ने हिंदू-मुसलमानों में भेद पैदा करके कूटनीति से शासन किया । तंग आकर भारतीय जनता ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वराज्य की लड़ाई शुरू की । द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेज कमजोर पड़ गए ।

उनका शासन समाप्त हुआ और भारत आजाद हो गया । भारत को स्वतंत्र करते समय भी अंग्रेजों ने कूटनीति से इस देश को टुकड़ों में बाँट दिया- एक भारत, दूसरा पाकिस्तान, तीसरा राज्यों की स्वतंत्र रियासतें । ब्रिटिश शासन के हटते ही अन्य राज्यों की तरह कश्मीर के महाराज हरीसिंह ने भी अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया ।

मौका पाकर पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण किया तो कश्मीर-नरेश भारत संघ में शामिल हो गए । इस तरह कश्मीर की रक्षा करना भारत का नैतिक कर्तव्य हो गया । फलत: पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध हुआ । मामला राष्ट्र संघ में गया । तभी से कश्मीर की समस्या ज्वलंत बनी हुई है । कश्मीर के तीन-चौथाई भाग पर भारत का और एक-चौथाई पर पाकिस्तान का कब्जा है ।

कश्मीर का राजा हिंदू था, बहुल जनसंख्या मुसलमानों थी । पाकिस्तान की सीमा इससे लगी होने के कारण पाकिस्तान का मोह बढ़ा । कश्मीर-नरेश स्वतंत्र रहना चाहते थे, मगर पाकिस्तान के आक्रमण से डरकर भारत में शामिल हुए ।

उस समय कश्मीर के जननेता शेख अब्दुल्ला भी भारत के पक्ष में थे । पाकिस्तान जब हार गया तब उसने कश्मीर में जनमत-संग्रह की बात उठाई । राष्ट्र संघ में वर्षों तक चर्चा चलती रही । परिस्थिति बदल गई । कश्मीर ने भारतीय संविधान के अनुसार आम चुनाव में बराबर भाग लेकर यह सिद्ध कर दिया कि भारत के साथ उसका रिश्ता स्थायी है ।

सन् १९४७ में पाकिस्तान ने गोपनीय ढंग से कबाइलियों को उकसाकर कश्मीर पर आक्रमण किया । राष्ट्र संघ के निर्देशानुसार दोनों ने विराम-संधि की, मगर बाद की चर्चा अंतरराष्ट्रीय गुटबंदी के कारण अधूरी ही रही । रूस भारत के पक्ष में है तो संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है ।

भारत ने युद्ध-विराम रेखा के आधार पर संधि करके समस्या के निराकरण की बात उठाई थी, मगर पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं है, क्योंकि उसे संयुक्त राज्य अमेरिका से लगातार सामरिक हथियारों की सहायता मिलती रही । भारत के प्रधानमंत्री बारंबार स्पष्ट करते रहे कि भारत के हिस्से का कश्मीर भूमि-सुधार, यातायात के मार्ग जैसी विकास-योजनाओं के द्वारा आगे बढ़ रहा है ।

पाकिस्तान के हिस्से का कश्मीर आज भी बहुत पिछड़ा है । विराम संधि की शर्त के अनुसार, पाकिस्तानी सेना को पूरे कश्मीर से पहले हट जाना चाहिए था । पाकिस्तान ने वैसा अब तक नहीं किया है । इतना ही नहीं, उसने सन् १९६५ में पुन: कश्मीर पर आक्रमण किया ।

भारतीय सेना ने उसका मुँहतोड़ जवाब दिया । बाद में रूस की मध्यस्थता से ‘ताशकंद संधि’ हुई, जिसके अनुसार आज भी कश्मीर भारत के नियंत्रण में है । वस्तुत: अब भारत की दृष्टि से कश्मीर की कोई समस्या ही नहीं है । कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है । वहाँ कई बार जनतांत्रिक चुनाव भी हो चुके हैं ।

पाकिस्तान इस सत्य को इसलिए स्वीकार नहीं करना चाहता है कि यूरोपीय शक्तियाँ उसकी सहायता करके भारत की शांति को भंग करती रहना चाहती हैं । वहीं रूस अपने वीटो-अधिकार के द्वारा भारत का साथ देता रहता है ।

गत वर्षों में पाकिस्तान और भारत के संबंधों में अप्रत्याशित सुधार आया । दोनों देशों के बीच बस-सेवा शुरू हुई । इसके बाद भी पाकिस्तान से जब जम्यू-कश्मीर पर वार्त्ता करने की बात चलाई जाती है तब पाकिस्तान कश्मीर समस्या को दरकिनार कर अन्य विषयों पर वार्त्ता करने के लिए तैयार हो जाता है ।

जो भी हो, भारत के लिए कश्मीर जीवन-मरण तथा राष्ट्र-प्रतिष्ठा का विषय बन गया है । कश्मीर वस्तुत: भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध की कड़ी है । रूस और चीन की सीमाएँ उसके आस-पास हैं । भारत में बहनेवाली नदियों का मूल कश्मीर में है । वह भारत की धर्मनिरपेक्षता की नीति की कसौटी है । अत: भारत किसी भी मूल्य पर कश्मीर का एक इंच भूभाग भी छोड़ने को तैयार नहीं है ।

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