EXERCISE 50. . महात्मा गांधी के तीन बन्दर मानव स्वभाव के तीन महान गुणों के प्रतीक हैं। पहला बन अपनी आँखें बन्द कर रखी हैं, सन्देशं देता है कि व्यक्ति तथा संसार की बुराई को नहीं देख दूसरा बन्दर जिसका मुँह बन्द है, सन्देश देता है कि किसी के बारे में बुरा नहीं बोलना चाहिए बन्दर जिसके कान बन्द हैं, सन्देश देता है कि किसी की बुराई अथवा निन्दा नहीं सुननी चाहि में, यदि संसार में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति इन तीन बातों का अपने व्यवहार में पालन करे तो पारस्परिक, पारिवारिक एवं सामाजिक तनाव अपने आप ही समाप्त हो जायेगा। तनाव के का बीमारियाँ भी समाप्त हो जायेंगी। english translation
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Mahatma Gandhi's three monkeys symbolize the three great qualities of human nature. The first one has closed its eyes, it gives the message that the monkey does not see the evil of the person and the world, the second monkey, whose mouth is closed, gives the message that the monkey, whose ears are closed, should not speak evil. In the interest of not listening to anyone's evil or blasphemy, if everyone living in the world follows these three things in their behavior, then mutual, family and social tension will automatically disappear. Diseases of stress will also be eliminated.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में तो आपने सुना ही होगा। जब भी बापू का जिक्र होगा, उनसे जुड़े तीन बंदरों की भी बात होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन तीनों बंदरों का नाम बापू के साथ कैसे जुड़ा? माना जाता है कि ये बंदर चीन से बापू तक पहुंचे। दरअसल, देश- विदेश से लोग अक्सर सलाह लेने के लिए महात्मा गांधी के पास आया करते थे।मिजारू बंदर : इसने दोनों हाथों से आंखें बंद कर रखी हैं, यानी जो बुरा नहीं देखता।
किकाजारू बंदर : इसने दोनों हाथों से कान बंद कर रखे हैं, यानी जो बुरा नहीं सुनता।
इवाजारू बंदर : इसने दोनों हाथों स मुंह बंद कर रखा है, यानी जो बुरा नहीं कहता।
चीन से आए ये बंदर
एक दिन चीन का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने आया। बातचीत के बाद उन लोगों ने गांधी जी को एक भेंट देते हुए कहा कि यह एक बच्चे के खिलौने से बड़े तो नहीं हैं लेकिन हमारे देश में बहुत ही मशहूर हैं। गांधी जी ने तीन बंदरों के सेट को देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने इसे अपने पास रख लिया और जिंदगी भर संभाल कर रखा। इस तरह ये तीन बंदर उनके नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ गए। माना जाता है कि ये बंदर बुरा न देखो, बुरा न सुनो, बुरा न बोलो के सिद्धांतों को दर्शाते हैं।
जापान से भी नाता
गांधीजी के इन तीन बंदरों को जापानी संस्कृति से भी जोड़ा जाता है। 1617 में जापान के निक्को स्थित तोगोशु की समाधि पर यही तीनों बंदर बने हुए हैं। माना जाता है कि ये बंदर चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस के थे और आठवीं शताब्दी में ये चीन से जापान पहुंचे। उस वक्त जापान में शिंटो संप्रदाय का बोलबाला था। शिंटो संप्रदाय में बंदरों को काफी सम्मान दिया जाता है। जापान में इन्हें 'बुद्धिमान बंदर' माना जाता है और इन्हें यूनेस्को ने अपनी वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया है। वैसे, इन तीन बंदरों के प्यार से नाम भी हैं।
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