EXERCISE 65
किसी ने खूब कहा है कि व्यक्ति का भाग्य काफी हद तक उसके परिश्रम और चरित्र पर निर्भर करता है। यह बात तो सल
ही है कि कोई भी व्यक्ति महान नहीं बन सकता यदि वह परिश्रम से जी चुराता है और यदि उसमें चरित्र की कमी है। इसी प्रकार
कोई भी राष्ट्र महान नहीं बन सकेगा यदि उसके निवासी आलसी हैं अथवा उनका चरित्र उत्कृष्ट नहीं है। परिश्रम और चरित्र एक
नाँव के समान हैं जिस पर सफलता और महानता के भवन का निर्माण होता है । यदि नीव कमजोर है तो क्या कोई मजबूत और
टिकाऊ भवन उस पर बनाया जा सकता है ? क्या हमारा पर्वत पर चढ़ना सम्भव है यदि हमारे पैरों के नीचे की धरती खिसक रहो
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some one said well that tha
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kafi had Tak uske parishram aur charit per nirbhar karta hai
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