explain about mumhammad of ghori in hindi
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मुइज़ अद-दिन मुहम्मद का जन्म शिहब अद-दिन के नाम से हुआ था जो मोहम्मद ग़ोरी के नाम से भी जाने जाते है। उनका जन्म 1149 में घोर प्रान्त में हुआ जो आज अफगानिस्तान के नाम से जाना जाता है। उनके जन्म की तारीख को लेकर आज भी विवाद शुरू है। अपने भाई घियाथ अद-दिन के साथ मिलकर उन्होंने 1173 से 1202 तक घुरिद साम्राज्य पर शासन किया था। और 1202 से 1206 तक घोर का मुहम्मद घुरिद साम्राज्य का सर्वोच्च शासक भी रहा था।
मुइज़ अद-दिन मुहम्मद घुरि साम्राज्य के महानतम शासको में से एक है। वह दक्षिण एशिया में मुस्लिम वंश का विस्तार करना चाहता था। उसने उस समय अभी के अफगानिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, भारत, पकिस्तान, ताजीकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शासन किया था।
1173 में मुइज़ अद-दिन ने गजनी के शहर को हथिया लिया और उत्तरी भारत में अपना विस्तार करने लगा। उस समय उसकी आधी विरासत मुहम्मद ग़जनी के हातो में थी। इसके बाद उसने अपने भाई घियाथ की ख्वाराज़मियन साम्राज्य को हथिया में सहायता की ताकि वह दक्षिण एशिया पर भी अपना कब्ज़ा कर सके। 1175 में मुइज़ ने सुल्तान पर भी हमला कर दिया जहा उस समय हामिद लुदी का साम्राज्य था। इसके बाद 1186 में उसने लाहोर पर भी कब्ज़ा कर लिया। 1202 में घियाथ की मृत्यु के बाद वह घुरिद साम्राज्य का संस्थापक बना और 1206 में अपनी मृत्यु तक उसने शासन किया।
1206 में मुइज़ ने अपनी सारी विरासत अपने सेवक कुत्बू ई-दिन ऐबक को दे दी और उसे उत्तराधिकारी बनाया।
मुइज़ अद-दिन मुहम्मद घुरि साम्राज्य के महानतम शासको में से एक है। वह दक्षिण एशिया में मुस्लिम वंश का विस्तार करना चाहता था। उसने उस समय अभी के अफगानिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, भारत, पकिस्तान, ताजीकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शासन किया था।
1173 में मुइज़ अद-दिन ने गजनी के शहर को हथिया लिया और उत्तरी भारत में अपना विस्तार करने लगा। उस समय उसकी आधी विरासत मुहम्मद ग़जनी के हातो में थी। इसके बाद उसने अपने भाई घियाथ की ख्वाराज़मियन साम्राज्य को हथिया में सहायता की ताकि वह दक्षिण एशिया पर भी अपना कब्ज़ा कर सके। 1175 में मुइज़ ने सुल्तान पर भी हमला कर दिया जहा उस समय हामिद लुदी का साम्राज्य था। इसके बाद 1186 में उसने लाहोर पर भी कब्ज़ा कर लिया। 1202 में घियाथ की मृत्यु के बाद वह घुरिद साम्राज्य का संस्थापक बना और 1206 में अपनी मृत्यु तक उसने शासन किया।
1206 में मुइज़ ने अपनी सारी विरासत अपने सेवक कुत्बू ई-दिन ऐबक को दे दी और उसे उत्तराधिकारी बनाया।
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