explain Meiosis briefly ? in hindi with examples
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Meiosis. refer to the dividing of cell in for daughter cells.. :)....
mtlb yeh ki... cell jb char daughter cells me convert hojata hai to use meiosis kehte hai
mtlb yeh ki... cell jb char daughter cells me convert hojata hai to use meiosis kehte hai
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Hello everyone....
अर्द्धसूत्री विभाजन-I (Meiosis-I):-
इसकी निम्न चार प्रावस्थाए होती है -
(A.1) प्रोफेज-I (Prophase-I):- अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रोफेज-I के पाँच उप-प्रावस्थाए होती हैं–
(A.1.1) लेप्टोटिन (Leptotene):- गुणसूत्र सघनित होते हैं और स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। तारककेंद्र बनकर ध्रुवों की तरफ जाने लगते हैं।
(A.1.2) जाइगोटिन (Zygotene):- समजात गुणसूत्र जोडे (युग्म) बना लेते है जिसे बाइवेलेंट या चतुष्क कहते हैं। ये समजात गुणसूत्र अर्धगुणसूत्र नही होते। प्रत्येक चतुष्क में चार क्रोमैटिड्स होते हैं।
(A.1.3) पैकिटिन (Pechytene):- गुणसूत्रों के युग्मन की प्रक्रिया पुरी हो जाती है और समजात गुणसूत्रो के मध्य जीन विनिमय होता है
जीन विनिमय द्वारा सजातीय गुणसूत्रों में आनुवंशिक सामग्री का विनिमय होता है जिससे आनुवंशिक विविधता बढ़ती है।
(A.1.4) डिप्लोटिन (Diplotene):- समजात गुणसूत्र पृथक होने लगते है जिससे X आकार के काइज्मेटा बनते हैं। इस प्रक्रिया को सीमान्तीकरण या उपान्तीभवन कहते है।
(A.1.5) डायकाइनेसिस (Diakinesis):- समजात गुणसूत्र पृथक हो जाते तथा गुणसूत्र-बिंदु से तर्कु तन्तु जुड जाते हैं।
Hope this helps you.....
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अर्द्धसूत्री विभाजन-I (Meiosis-I):-
इसकी निम्न चार प्रावस्थाए होती है -
(A.1) प्रोफेज-I (Prophase-I):- अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रोफेज-I के पाँच उप-प्रावस्थाए होती हैं–
(A.1.1) लेप्टोटिन (Leptotene):- गुणसूत्र सघनित होते हैं और स्पष्ट दिखाई देने लगते हैं। तारककेंद्र बनकर ध्रुवों की तरफ जाने लगते हैं।
(A.1.2) जाइगोटिन (Zygotene):- समजात गुणसूत्र जोडे (युग्म) बना लेते है जिसे बाइवेलेंट या चतुष्क कहते हैं। ये समजात गुणसूत्र अर्धगुणसूत्र नही होते। प्रत्येक चतुष्क में चार क्रोमैटिड्स होते हैं।
(A.1.3) पैकिटिन (Pechytene):- गुणसूत्रों के युग्मन की प्रक्रिया पुरी हो जाती है और समजात गुणसूत्रो के मध्य जीन विनिमय होता है
जीन विनिमय द्वारा सजातीय गुणसूत्रों में आनुवंशिक सामग्री का विनिमय होता है जिससे आनुवंशिक विविधता बढ़ती है।
(A.1.4) डिप्लोटिन (Diplotene):- समजात गुणसूत्र पृथक होने लगते है जिससे X आकार के काइज्मेटा बनते हैं। इस प्रक्रिया को सीमान्तीकरण या उपान्तीभवन कहते है।
(A.1.5) डायकाइनेसिस (Diakinesis):- समजात गुणसूत्र पृथक हो जाते तथा गुणसूत्र-बिंदु से तर्कु तन्तु जुड जाते हैं।
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