Hindi, asked by Sangandaslill, 1 year ago

Explain the 5 doha of rahim
Thanks in advance

Answers

Answered by gbalaji
0
एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अगाय ॥
अर्थात – एक-एक करके कामों को करने से सारे काम पूरे हो जाते हैं. ठीक उसी तरह जैसे पेड़ के जड़ को पानी से सींचने से वह फल-फूलों से लद जाता है.
सारांश : एक हीं बार में सारे कामों को शुरू करने से सफलता नहीं मिलती है, ठीक वैसे हीं जैसे अगर किसी पेड़ के एक-एक पत्ते या एक-एक टहनी को सींचा जाए और जड़ को सूखा छोड़ दिया जाए, तो पेड़ फल-फूलों से कभी नहीं भरेगा.

 

रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय ।
बिनु पानी ज्‍यों जलज को, नहिं रवि सकै बचाय ।।
अर्थात – जब मुश्किल परिस्थिति आती है, तो व्यक्ति की अपनी कमाई गई दौलत या सम्पत्ति हीं उसकी सबसे बड़ी मददगार होती है. उस मुश्किल समय में व्यक्ति की सहायता कोई नहीं करता है. ठीक उसी तरह जैसे किसी तालाब का पूरा पानी सूख जाने पर, सूर्य कमल के फूल को सूखने से नहीं बचा सकता है.
सारांश : इतना जरुर कमाइए कि अपनी न्यूनतम जरूरतों को आप खुद पूरा कर सकें. और विपत्ति के समय आपको किसी और की ओर मुँह ताकने की जरूरत न पड़े.
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय ।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ।।
अर्थात – हर व्यक्ति को कुछ भी बोलने से पहले और किसी दूसरे व्यक्ति से व्यवहार करने से पहले हीं सोच लेना चाहिए. क्योंकि जो भी बात एक बार बिगड़ जाती है, वह फिर लाखों कोशिशों के बाद भी सामान्य नहीं होती है. ठीक वैसे हीं जैसे, जब एक बार दूध फट जाता है, तो वह हमेशा के लिए फट जाता है. फटे दूध को लाख बार मथने से भी मक्खन नहीं बना करता है.
सारांश : व्यवहारकुशल बनिए, इससे आपको अकारण तनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा.
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत ।
ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछु न दे ।।
अर्थात –संगीत से मोहित होकर हिरण शिकार बन जाता है. जो व्यक्ति किसी के प्रेम में पड़ जाता है, वह अपने प्रेमी को अपना तन, मन, धन सब कुछ सौंप देता है. वे लोग पशु से भी बुरे होते हैं, जो किसी से प्रेम, ख़ुशी या अपनापन पाने के बाद भी उसे कुछ भी नहीं देते.
सारांश : किसी भी व्यक्ति का केवल अपना मतलब पूरा करने के लिए उपयोग करना अच्छा नहीं होता है.
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय ।
सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय ।।
अर्थात – अपने मन की तकलीफ को अपने मन में हीं समेटकर रखना चाहिए. क्योंकि आपके तकलीफ को कोई बाँटकर कम नहीं करेगा, बल्कि लोग आपका मजाक हीं उड़ायेंगे.
सारांश : दूसरों को अपना दर्द कभी नहीं बताना चाहिए.
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय ।
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय ।।
अर्थात –  प्यार या रिश्ता धागे की तरह होता है. जैसे ज्यादा खींचतान से धागा टूट जाता है, वैसे हीं रिश्ता भी टूट जाता है. एक जैसे एक बार जो धागा टूट जाता है, उसे जोड़ने पर गांठ पड़ जाती है, ठीक वैसे हीं रिश्तों में मनमुटाव होने के बाद मन में हमेशा के लिए एक खटास रह जाती है.
सारांश : जिन रिश्तों को आप लम्बे समय तक निभाना चाहते हों, उनमें कभी खटास न पड़ने दें.
Similar questions