Hindi, asked by Prisha347, 11 months ago

EXPLAIN THE LINES WITH AN EXAMPLE (IN HINDI)

"शीघ्र पहुंचना है तो अकेले चलो,परंतु दूर तक जाना है तो मिलकर चलो"

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एकल और सकल प्रयासों की जीवन में क्या प्रासंगिता है?

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Answers

Answered by shishir303
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“शीघ्र पहुंचना है तो अकेले चलो, परंतु दूर तक जाना है तो मिलकर चलो”.....

इन पंक्तियों का सार यह है कि हमें जीवन में किसी लक्ष्य को पाना है और जल्दी ही उस लक्ष्य को पाना है, तो अकेले चलना ही बेहतर रहेगा क्योंकि सबकी अपनी-अपनी क्षमता होती है, अपनी सामर्थ्य होती है, लक्ष्य के पथ पर चलने की सबकी अपनी गति होती है। यदि आपको शीघ्र ही अपने लक्ष्य को पाना हो तो आपको अकेले ही वो सफर तय करना पडे़गा, क्योंकि आप अपनी सुविधा के अनुसार, अपनी सामर्थ्य के अनुसार लक्ष्य तक पहुंचने की अपनी गति को समायोजित कर सकते हैं। यदि कोई आपके साथ होगा तो जरूरी नही कि वो आपके साथ कदमताल मिला सके, ऐसे में आपकी अपने लक्ष्य तक पहुंचने की गति प्रभावित हो सकती है। अतः अपने लक्ष्य को जल्दी हासिल करने के लिये अकेले चलना ही बेहतर रहेगा।

परन्तु दूसरी स्थिति ये कि आपका सफल अत्यन्त लंबा है तो मिलकर चलने में ही भलाई होती है क्योंकि रास्ता लंबा है तो रास्ते में कठिनाइयां भी आयेंगी, बाधायें भी आयेंगी और कठिनाइयों और बाधाओं से मुकाबला मिलकर आसानी से किया जा सकता है। एकता में शक्ति होती है। लंबा सफर साथ मिलकर तय करने से हँसते-खेलते और आसानी से कट जाता है।

एकल और सतत् प्रयासों की जीवन में बहुत बड़ी प्रासंगिकता है।

एकल मतलब अकेला और सतत् मतलब लगातार या निरंतर अर्थात किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये अकेले लगे रहना और निरंतर लगे रहने से लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है। दुनिया में जितनी भी महान हस्तियां हुईं हैं, वो अपने एकल और सतत् प्रयासों के कारण ही अपने लक्ष्य को पाने में सफल हुये।

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