Hindi, asked by neetusapra662, 4 months ago

Explain the meaning of the lines

रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में
अनाथ कौन हैं यहाँ त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीन बन्धु के बड़े विशाल हाथ हैं
अतीव भाग्यहीन हैं अधीर भाव जो करे
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।​

Answers

Answered by ayushchauhan2113
5

Answer:

Difficult Word Meaning

मदांघ - घमण्ड

तुच्छ - बेकार

सनाथ - जिसके पास अपनों का साथ हो

अनाथ - जिसका कोई न हो

चित्त - मन में

त्रिलोकनाथ - ईश्वर

दीनबंधु - ईश्वर

अधीर – उतावलापन

Explanation:

कवि कहता है कि भूल कर भी कभी संपत्ति या यश पर घमंड नहीं करना चाहिए। इस बात पर कभी गर्व नहीं करना चाहिए कि हमारे साथ हमारे अपनों का साथ है क्योंकि कवि कहता है कि यहाँ कौन सा व्यक्ति अनाथ है ,उस ईश्वर का साथ सब के साथ है। वह बहुत दयावान है उसका हाथ सबके ऊपर रहता है। कवि कहता है कि वह व्यक्ति भाग्यहीन है जो इस प्रकार का उतावलापन रखता है क्योंकि मनुष्य वही व्यक्ति कहलाता है जो इन सब चीजों से ऊपर उठ कर सोचता है।

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