Hindi, asked by TommyJohnson91, 15 hours ago

Explain the poem 'dilli' by Ramdhari Singh Dinkar.. pls share accurate answer and asap..​

Answers

Answered by yadavshraddha927
2

Answer:

यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिस्र गगन में

कूक रही क्यों नियति व्यंग से इस गोधूलि-लगन में?

मरघट में तू साज रही दिल्ली कैसे श्रृंगार?

यह बहार का स्वांग अरी इस उजड़े चमन में!

इस उजाड़ निर्जन खंडहर में

छिन्न-भिन्न उजड़े इस घर मे

तुझे रूप सजाने की सूझी

इस सत्यानाश प्रहर में!

डाल-डाल पर छेड़ रही कोयल मर्सिया-तराना,

और तुझे सूझा इस दम ही उत्सव हाय, मनाना;

हम धोते हैं घाव इधर सतलज के शीतल जल से,

उधर तुझे भाता है इनपर नमक हाय, छिड़काना!

महल कहां बस, हमें सहारा

केवल फ़ूस-फ़ास, तॄणदल का;

अन्न नहीं, अवलम्ब प्राण का

गम, आँसू या गंगाजल का;

Explanation:

I hope it's helped you please mark me as a brain list

Answered by Rakshu24082010
0

Answer:

I will give you the answer please mark me as brainlist

Explanation:

यह कैसी चांदनी अम के मलिन तमिस्र गगन में

कूक रही क्यों नियति व्यंग से इस गोधूलि-लगन में ?

मरघट में तू साज रही दिल्ली कैसे श्रृंगार?

यह बहार का स्वांग अरी इस उजड़े चमन में!

इस उजाड़ निर्जन खंडहर में

छिन्न-भिन्न उजड़े इस घर मे

तुझे रूप सजाने की सूझी

इस सत्यानाश प्रहर में !

डाल-डाल पर छेड़ रही कोयल मर्सिया-तराना,

और तुझे सूझा इस दम ही उत्सव हाय, मनाना;

हम धोते हैं घाव इधर सतलज के शीतल जल से,

उधर तुझे भाता है इनपर नमक हाय, छिड़काना !

महल कहां बस, हमें सहारा

केवल फ़ूस-फ़ास, तॄणदल का;

अन्न नहीं, अवलम्ब प्राण का

गम, आँसू या गंगाजल का;

THANK YOU

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