Hindi, asked by XXRUSHANKXX987, 16 days ago

explain the poem in hindi
kripya \: karke  \: apko \: nahi \: ata \: tho \: answer \: na \: kare

Attachments:

Answers

Answered by BangtanXArmy0t7
5

Answer:

काव्यांश -1

सीस पगा न झगा तन में, प्रभु! जाने को आहि बसै केहि ग्रामा।

धोती फटी-सी लटी दुपटी, अरु पाँय उपानह को नहिं सामा।

द्वार खड़ो द्विज दुर्बल एक, रह्मो चकिसो वसुधा अभिरामा।

पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा।

Some word meaning

सीस – सिर

पगा – पगड़ी

झगा – कुरता

तन – शरीर

द्वार – दरवाजा

खड़ो – खड़ा है

द्विज दुर्बल – दुर्बल ब्राहमण

रह्मो चकिसो – चकित

वसुधा – धरती

अभिरामा – सुन्दर

पूछत – पूछना

दीनदायल – प्रभु कृष्ण

धाम – स्थान

प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत भाग-3’ में संकलित ‘नरोत्तम दास जी’ द्वारा रचित काव्य ‘सुदामा चरित’ से लिया गया है। इसमें श्री कृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह (कहने पर) पर कुछ आर्थिक सहायता पाने की आशा में उनकी नगरी द्वारका पैदल जा पहुँचे हैं। कवि ने उसी समय के दृश्य का वर्णन किया है।

व्याख्या- उपुर्युक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि जब सुदामा कृष्ण के महल के सामने खड़े थे, तब द्वारपाल ने महल के अंदर जा कर श्री कृष्ण को बताया कि हे प्रभु! बाहर महल के द्वार पर एक गरीब व्यक्ति खड़ा हुआ है। बहुत ही दयनीय अवस्था में है और वह आपके बारे में पूछ रहा है। उसके सिर पर न तो पगड़ी है और न ही शरीर पर कोई कुरता है। पता नहीं वो किस गांव से चल कर यहाँ तक आया है। उसने ऐसा कुछ नहीं बताया है। वह फटी हुई धोती और गमछा पहने हुए है। उसके पैरों में जूते भी नहीं हैं। द्वारपाल आगे कहता है कि दरवाजे पर खड़ा हुआ गरीब कमजोर सा ब्राहमण हैरान हो कर पृथ्वी और महल के सौन्दर्य को निहार रहा है। वह द्वारिका नगरी को देखकर बहुत ही हैरान है वह सुन्दर महलों को बहुत ही हैरानी की दृष्टि से देख रहा है। वह दीनदयाल अर्थात आपका निवास स्थान पूछ रहा है और अपना नाम सुदामा बता रहा है।

काव्यांश-2

ऐसे बेहाल बिवाइन सों, पग कंटक जाल लगे पुनि जोए।

हाय! महादुख पायो सखा, तुम आए इतै न कितै दनि खोए।

देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिकै करुनानिधि रोए।

पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।

Some word meaning

ऐसे बेहाल – बुरे हाल

बिवाइन सों – फटी ऐड़ियाँ

पग – पाँव

कंटक – काँटा

पुनि जोए – निकालना

महादुख – बहुत दुख

सखा – मित्र

इतै न कितै – इतने दिन

दीन दसा – बुरी दशा

करुना करिकै – दया करके

करुनानिधि – दया के सागर

पानी परात – खुला बर्तन

हाथ छुयो नहिं – हाथ न लगाया

नैनन के जल – आँखों के आँसुओं

पग – पैर

प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत भाग-3’ में संकलित ‘नरोत्तम दास जी’ द्वारा रचित काव्य ‘सुदामा चरित’ से लिया गया है। इसमें कृष्ण सुदामा के मिलन तथा सुदामा की दीन अवस्था व कृष्ण की उदारता का वर्णन है।

व्याख्या – उपुर्युक्त पंक्ति में कवि कहते हैं कि कृष्ण सुदामा के विषय में सुनकर दौड़कर बाहर आए तथा सुदामा को बेहाल देखा। सुदामा के बिवाइयों से भरे पैर से श्री कृष्ण ने कांटे खोजकर निकाले और प्रेम से बोले कि मेरे परम मित्र तुमसे अलग होना मेरे लिये महादुख था। तुम इतने दिन कहाँ रहें। सुदामा का ऐसा हाल देख कर दया के सागर श्री कृष्ण दया से रो पड़े। उन्होंने सुदामा के पैर धोने के लिये मंगाई परात को हाथ नहीं लगाया बल्कि अपने आँसूओं से ही पैर धो डाले।

काव्यांश-3

कछु भाभी हमको दियो, सो तुम काहे न देत।

चाँपि पोटरी काँख में, रहे कहो केहि हेतु।।

आगे चना गुरुमातु दए ते, लए तुम चाबि हमें नहिं दीने।

स्याम कह्याउे मुसकाय सुदामा सों, ‘‘चोरी की बान में हौं जू प्रवीने।।

पोटरी काँख में चाँपि रहे तुम, खोलत नहिं सुधा रस भीने।

पाछिलि बानि अजौ न तजो तुम, तैसई भाभी के तंदुल कीन्हें।।”

Some word meaning

कछु – कुछ

काहे न देत – किस कारण

चाँपि – छिपाना

पोटरी – पोटली

चाबि – चबाना

बान – आदत

प्रवीन – कुशल

पाछिलि बानि – पुरानी आदत

तजी – छोड़ी

तंदुल – सौगात

प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘वसंत भाग-3’ में संकलित ‘नरोत्तम दास जी’ द्वारा रचित काव्य ‘सुदामा चरित’ से लिया गया है। इसमें कृष्ण सुदामा से शिकायत कर रहे होते हैं कि वह उसकी पत्नी द्वारा कृष्ण के लिए भेजी गयी सौगात क्यों नहीं दे रहे हैं।

व्याख्या – श्री कृष्ण कहते हैं कि मेरी भाभी ने जो मेरे लिए भेजा है। वह तुम मुझे क्यों नहीं दे रहे? मेरे लिए लाई पोटली को बगल में क्यों छिपा रहे हो। कृष्ण उस पर ताना मारते हुए कहते हैं कि जैसे उसने बचपन में उनकी गुरु माँ द्वारा दिए चने उसे न देकर खुद खा लिए थे, वैसे ही वह अब भी उनके तोहफे को उन्हें क्यों नहीं दे रहें है? क्या वह चोरी करने में कुशल हो गए हैं? कृष्ण जी कहते हैं कि वह क्यों पोटली छिपा रहे हैं? उसे निकाल कर क्यों नहीं देते, उसमेंं से कितनी सुगन्धित अमृत की खुशबू आ रही है। क्या उनकी पिछली आदत नहीं छूटी है जो भाभी द्वारा भेजा तोहफा छिपा रहे हैं।

In image there are 3 paragraphs.

and above their explanation is given.

I hope it helps you.

How are yuh ?

Are you fine :)

How's your study going ?

Similar questions