Hindi, asked by shreyansh34, 1 year ago

Explain the poem Parahwise.

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Answered by Mrcool566
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भावार्थ:- उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत स्थित है जिसकी ऊंची चोटियां आकाश का स्पर्श करती दिखाई देती है विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत भारत के गौरव का प्रतीक है इस देश के दक्षिण दिशा में स्थित हिंद महासागर भारत मां के चरणों का स्पर्श करके मानो अपने सौभाग्य पर इतराता है
इस देश में गंगा यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदी का अनोखा संगम है जिसका अद्भुत सौंदर्य चारों ओर छाया दिखाई देता है नदियों के पवित्र जल से सिंचित भारत की धरती हरी भरी और सुंदर दिखाई देती है यह धरती पवित्र भांति भांति के खनिज पदार्थों औषधि वनस्पतियों से संपन्न है
ऐसा महान देश मेरी जन्म भूमि है मेरी मातृभूमि मुझे इस सौभाग्य पर गर्व है

झरने अनेक .............मातृभूमि मेरी

भावार्थ:- कवि कहते हैं कि भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में कल कल बहते हुए झरने यहां की शोभा बढ़ाते हैं इन हरे-भरे वन्य प्रदेशों में चिड़ियों  के मधुर कनेरा से वातावरण मदमस्त हो जाता है आम के घने बगीचों में वसंत ऋतु के आगमन पर कोयल की मीठी कुक सुनाई देती है भारत के दक्षिण में स्थित हिमालय पर्वत से बहने वाली शीतल और सुगंधित हवा प्राणियों को तन मन को स्फूर्ति व ताजगी से भर देती है
यहां अनेक धर्मों की स्थापना हुई जिससे मनुष्य को एक नई जीवन दृष्टि मिली यह देश कर्म प्रधान देश है इसकी सेवा सम्मान है मेरा भारत भूमि मेरी मातृभूमि है जो मुझे सदैव कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है

जन्मे जहां.......... मेरी

भावार्थ:- जन्म देने वाले वीर महापुरुषों का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि इस देश में रघुकुल में श्री राम का जन्म हुआ जो मर्यादा पुरुषोत्तम है उनका जीवन चरित्र मानव जीवन का सर्वोच्च आदर्श प्रस्तुत करता है यहां सीता जैसी पतिव्रता वह धर्म परायण स्त्री का जन्म हुआ जिन्होंने नारी धर्म का आदर्श स्थापित किया यह द्वापर युग में श्री कृष्ण ने जन्म लिया जिन्होंने महाभारत के युद्ध में गीता का उपदेश देकर मनुष्य को निष्काम कर्म की शिक्षा दी बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने मानव को प्रेम और अहिंसा का पाठ पढ़ाया उनके मन के दीपक से आज विश्व के अनेक देश से अलौकिक हैं बुद्ध ने लोगों को माया मोह आदि विकारों से मुक्त होकर ज्ञान मार्ग पर चलने का संदेश दिया है
          कवि  कहते हैं कि यह भारत भूमि मेरी जन्म भूमि है जो शांति और अहिंसा की वाहक है तथा धर्म और न्याय के रक्षक है
Answered by Shrutkirti
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yeah kavita apne desh ki sundarta ka varnan karti hai.

1. yeh desh ki bhumi meri matrubhumi aur janmabhumi hai
jahan Maine janm liya hai


yeh Vah bhumi hai jahan himalay apna sar arthat choti unchi Kar aakash ko chumta hai
yeah Vah bhumi hai jahan sindhu har roz jhar jhar pairo tale behti hai.
yeah Vah bhumi hai jahan gangs yamuna aur anya nadiya apni nirali jagmag chata lehrakar Henri rehti hair.

2 yeah meri punyabhumi aur swarna arthat sone ki bhumi hai.

yahan anek jharne behte hai jinki pahadiyon par chidiya chahakti rehti hai.
yahan bahut aam ke ped hai jin par koyal baith kar apni madhur aawaz sunati hai.
un amraiyon se kafi acchi aur Malay hawayein aati hai.

3 yeah meri dharma aur karmabhumi hai

yeah Vah bhumi hai jahan Bhagwan shri ram v mata sita be bank Liya tha
jahan shri Krishna me bansuri aur gita sunai thi
jahan gautam buddh ne jag ko jeevan ke asli arth we parichit karya duniya ke prati dayabhavna dikhai
yahi meri yuddhbhumi buddhbhumi
janmabhumi air karmabhumi hai.
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