Explain the shaam,daam,dand,bhed niti(चाणक्य नीति )in Hindi.
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साम यानी समझाना दाम यानी आर्थिक प्रलोभन देना दंड यानी बल प्रयोग भेद यानी कुटिलता
1.साम और दाम-
प्रत्येक गलती कुछ कीमत मांगती है । इस गलती की बहुत बडी कीमत हम दे भी चुके है और आगे भी देते रहेंगे । साम का अर्थ होता है स्तुति य मिन्नत लेकिन इसका एक दुसरा अर्थ भी होता है जिसे चतुराई कहते है ।
मैने अपने पिछले ब्लाग में एक विकल्प “साम” अर्थात चतुराई का भी सुझाया था कि यदि पाकिस्तान राजी हो जाए जैसा कि उसकी मांग भी है कि भारत-पाक दोनों एक साथ “परमाणु अप्रसार संधी” पर हस्ताक्षर कर परमाणु अस्त्रों का त्याग कर दे तो शक्ति संतुलन पुनः भारत के पक्ष में स्थापित हो जाएगा और ऐसा होने पर पाकिस्तान का भारत के प्रति व्यवहार भी स्वतः परिवर्तित हो जाएगा ।
मेरे इस सुझाव पर पाठकों की जबरदस्त पतिक्रियाएँ प्राप्त हुई । मेरे विचार से लगभग प्रत्येक पाठक ने असहमति जताई लेकिन इस प्रश्न का जवाब कोई नहीं मिला कि पाकिस्तान कि अगामी करतूत का, जो वह निश्चित रुप से करेगा, भारत क्या जवाब देगा सिवाए कडी चेतावनी के ? भारत के इस स्थाई हो चुके सिरदर्द का इलाज किसी के पास नहीं है ।
पाठकों ने जो आशंकाएं जाहिर की उनसे सहमत होते हुए भी मेरा कहना यही था कि बंदर से उस्तरा छीनने के लिए कभी-कभी अपना उस्तरा भी फैंकना पडता है । दूसरे शब्दों में “जूता चाहे कितना भी कीमती क्यूँ न हो, पैर को खाने लगे तो त्याग देना चाहिए” या फिर । यद्यपि यह बहुत अच्छा विकल्प नहीं है लेकिन जैसा कि मैने पहले भी कहा है कि प्रत्येक गलती कीमत मांगती है और हमने जो गलती की है(पाकिस्तान को बंम बनाने देने की) उसकी कुछ न कुछ कीमत तो हमें जरूर अदा करनी पडेगी ।
वैसे यह विकल्प मेरे द्वारा सोचे गए चार विकल्पों में से एक विकल्प भर है न कि एकमात्र विकल्प ।
3.दंड
हमारे पास दूसरा विकल्प है दंड की नीति का अनुसरण करना । दुष्ट को दंड से पक्ष में किया जा सकता है, यह उक्ति पाकिस्तान पर बिलकुल सटीक बैठती है । इस नीति के तहत हमें पाकिस्तान की आर्थिक नाकाबंदी करनी चाहिए । वाजपेई के समय पर भी और वर्तमान में भी हम आकिस्तान में बैठे आतंकी सरगनाओं को सौंपने या कार्यवाइ करने की मांग बार-बार कर चुके है लेकिन पाकिस्तान की कान पर जूं रैंगती हुई दिखाई नहीं जान पडती । यदि पाकिस्तान भविष्य में भी कोई घृणित धटना को एंजाम देता है जिसे वो निश्चित रूप से देगा भी तो हमे पाकिस्तान की जबरदस्त नाका बंदी करनी चाहिए । हमारी नौ सेना पाकिस्तान के मुकाबले बहुत अच्छी है जिसके सहरे हम पाकिस्तान का सप्लाई लाईन काट सकते है । पाकिस्तान को जाने वाली नदियों को तो हम रोक नहीं सकते लेकिन इसके लिए योजना बना सकते है या घोषणा कर सकते हैं कि यदि पाकिस्तान अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का निर्वाह नहीं करता तो भारत भी इससे बंधा हुआ नहीं है और वो नदियों का पानी रोकने जा रहा है । इसके साथ ही हमें पाकिस्तान के अलगाववादियों को भी स्वतंत्रता सैनानी बताकर मुक्त हस्त सहायोग करना चाहिए और इसके लिए बजट में विशेष प्रावधान करने चाहिए जैसा अमेरीका क्यूबा के अलगाववादियों के लिए करता है । उम्मीद है इस उपाय से पाकिस्तान जल्द ही अपना व्यवहार सुधार लेगा इसलिए इस विकल्प पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ।
4.भेद(वध या सर्वनाश)
यदि हम चाहते है कि हम पाकिस्तान को हर हाल में सबक सिखांए भले ही पाकिस्तान के पास परमाणु बंम है तो हम यह भी चाहेंगे कि पाकिस्तान किसी भी स्थिति में परमाणु बंम का प्रयोग न कर सके । इसके लिए हमें निम्नलिखित तैयारियाँ करनी पडेगी-
(क). सबसे पहले तो हमें बहुत बडे पैमाने पर स्टिंगर या मिसाइल रोधी मिसाइलो की व्यवस्था करनी पडेगी जिससे किसी भी परमाणवीय मिसाइल को बीच रास्ते आकाश में ही नष्ट किया जा सके ।
(ख). हमें बडे पैमाने पर परंपरागत हथियारों की भी व्यवस्था करनी पडेगी विशेषकर विमानों और मिसाइलों की जो पाकिस्तान के एक भी जहाज को उडान भरने न दे ।
(ग). थल, नभ. जल तीनों तरफ से आक्रमण इतना तेजी से और बडे स्तर पर करना पडेगा कि उनको न बचाव का और न जवाबी कार्यवाइ का मोका मिले और युद्ध कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाए ।
(घ). युद्ध समाप्ति के बाद पहला कार्य उसके निशस्त्रीकरण का होना चाहिए । उसके बाद भारत-पाक के मध्य बफर स्थान का निर्माण भी किया जाए । हमारे हित में एकतरफा संधियों को दुशमन पर थोपा जाए जिससे वो पुनः कोई गुस्ताखी न करे ।
यदि हम इतनी बडी सैनिक कार्यवाइ के लिए तैयार है तो यह दूसरा विकल्प पहले वाले तीनों विकल्पों से कहीं अधिक उत्तम और चिर स्थाई है ।