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| विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
| विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
अहा! वही उदार है परोपकार जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
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महात्मा बुद्ध के तत्तकालीन समाज उनका विरोदी था, परंतु उनकी दया भावना और प्रेम भावना ने विरोध के स्वर का सर्वनाश कर दिया। जो व्यक्ति उनके विरोधी थे, वे भी उनकी महानता के सामने नतमस्तक हो गए और बौद्ध धर्म अपनाया। कवि के अनुसार, वहीं मनुष्य ' मनुष्यता के गुणों ' का प्रतिनिधि बन सकता है, जो उदार और परोपकारी है।
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दी गई पंक्तियों का भावार्थ निम्न प्रकार से लिखा गया है।
- दी गई पंक्तियों में कवि ने एक दूसरे के प्रति सहानुभूति दर्शाने की भावना को व्यक्त किया है। कवि कहता है कि इससे बढ़कर कोई पूंजी नहीं है । जो लोग उधार प्रवृत्ति के होते है सारा संसार उनके वश में हो जाता है, उसका सभी सम्मान करते है।
- महात्मा बुद्ध के विचारों का भी विरोध किया गया था परन्तु उनकी करुणा, दया व प्रेम की भावना के आगे सभी नतमस्तक हो गए।
- विनोबा भावे, मदर टेरेसा, महात्मा गांधी सभी ने प्रेम से लोगों का दिल जीता।
- कवि के अनुसार मनुष्य वहीं है जो परोपकारी हो, दूसरों के लिए अपने प्राण भी देने से न घबराए।
#SPJ3
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