Explanation of rahim's Doha रहिमन निज संपति बिना , कोउ न बिपति सहाय। बिनु पानू ज्यों जलज को , नाहिं रवि सके बचाय॥
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Rahim kavi kehte hai ki haame vipatti ke samay dhan sanchay avasy karna chaiye kyonki bina dhan ke koi hamari sahayta nahi karta . Usi prakar pani kamal ki sampatti hai , vina pani ke sury bhi uski sahayta nahi kar pata .
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रहीम अपने आप को संबोधित करते हुए यह कहते हैं सबसे : सीखो भाई बहन सब लोग:
बिना अपने खुद के धन संपत्ति , घर, व्यापार, उद्योग के कोई दूसरा अपने सहाय में शायद नहीं शामिल होगा | अपने अच्छे गुण , अपने चतुर बुद्धी दिमाग समय स्पूर्थी अपने अच्छे सम्बन्ध अपने मीठे बोल , अपने अच्छे कर्म ये सब हमारे अपने धन संपत्ति हैं | यहीं काम आयेंगे मुश्किलों में |
यह ऐसा है की जैसे जलज यानी कमल फूल को अगर पानी नहीं मिले तो सूरज जैसे महान देव भी अपने रोशनी से, कमल को नहीं बचा सकते | कमल को अपने पास अपना पानी होना चाहिए , जीने के लिए |
इस में नीति यह है की पैसे बचाओ, अच्छे गुण पाओ |
बिना अपने खुद के धन संपत्ति , घर, व्यापार, उद्योग के कोई दूसरा अपने सहाय में शायद नहीं शामिल होगा | अपने अच्छे गुण , अपने चतुर बुद्धी दिमाग समय स्पूर्थी अपने अच्छे सम्बन्ध अपने मीठे बोल , अपने अच्छे कर्म ये सब हमारे अपने धन संपत्ति हैं | यहीं काम आयेंगे मुश्किलों में |
यह ऐसा है की जैसे जलज यानी कमल फूल को अगर पानी नहीं मिले तो सूरज जैसे महान देव भी अपने रोशनी से, कमल को नहीं बचा सकते | कमल को अपने पास अपना पानी होना चाहिए , जीने के लिए |
इस में नीति यह है की पैसे बचाओ, अच्छे गुण पाओ |
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