Hindi, asked by sudhay295, 9 days ago

फीचर लेखन त्योहारों के नाम पर अब वह यानी खर्च​

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Answered by Ɍɛղgɔƙմ
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Answer:

हम हर त्योहार उत्साह के साथ मनाते हैं. उत्सव से कई दिनों पहले से ही हम तैयारियों में जुट जाते हैं. बाज़ार की चकाचौंध हमे अपनी तरफ आकर्षित करती है और हम अक्सर कुछ ऐसे सामन भी खरीद लाते हैं,जो हमारे लिए उपयोगी नहीं होती हैं. अनुपयोगिता के बावजूद ये हमारी सचित पूंजी का अच्छा हिस्सा खर्च करवा लेते हैं, जो कि त्योहार और उत्सव के उपरान्त चिंता और मुश्किल का कारण बनता हैं. ऐसा तभी होता है जब हम खरीदारी के लिए कोई योजना नहीं बनाते

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