फेफडे की कार्यक्षमता घटने से क्या क्या समस्या हो सकती है ?
Answers
Explanation:
हमारे शरीर का प्रमुख काम है सांस लेना, जिसमें हमारे फेफड़े मदद करते हैं। फेफड़े पर्यावरण में मौजूद ऑक्सीजन को सोखकर उसे खून में भेजते हैं और फिर वहां से कार्बनडाइऑक्साइड को लेकर शरीर से बाहर छोड़ते हैं। जिससे हमारे शरीर के जरूरी अंग जैसे दिमाग, आंखें, हाथ, पैरों को ऑक्सीजन युक्त ब्लड सप्लाई मिलती है और उनकी कार्यक्षमता बेहतर तरीके से चलती रहती है। लेकिन, संक्रमण या अन्य कारणों की वजह से फेफड़ों की बीमारी विकसित हो जाती है और इनकी कार्यक्षमता प्रभावित कर देती है। इन फेफड़ों की बीमारी (Lungs Diseases) की वजह से स्थिति गंभीर भी हो सकती है और कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है।
यह भी पढ़ें: बच्चों में नजर आए ये लक्षण तो हो सकता है क्षय रोग (TB)
फेफड़ों की बीमारी से पहले समझें फेफड़ों की संरचना
हमारे शरीर में दो फेफड़े होते हैं, जो कि छाती के दोनों ओर साइड में स्थित होते हैं। पर्यावरण में मौजूद हवा हमारी नाक के द्वारा ट्रेकिआ (Trachea) से होते हुए फेफड़ों में जाती है। ट्रेकिआ को विंडपाइप भी कहा जाता है। ट्रेकिआ अपनी पाइपनुमा ब्रांच जिसे ब्रॉन्काई (Bronchi) कहा जाता है, के द्वारा हवा को फेफड़ों के भीतर पहुंचाता है। जो कि आगे छोटी पाइपनुमा ब्रांच ब्रांकिओल्स (Bronchioles) में पहुंचती है। यही ब्रांकिओल्स माइक्रोस्कॉपिक एयर सैक में परिवर्तित हो जाते हैं, जिन्हें एल्वियोली (Alveoli) कहा जाता है। एल्वियोली में हमारे द्वारा ली गई हवा में मौजूद ऑक्सीजन को खून में अवशोषित कर लिया जाता है।
दूसरी तरफ, शरीर में ऑक्सीजन के मेटाबॉलिज्म के बाद पैदा हुई कार्बनडाइऑक्साइड को एल्वियोली के द्वारा ही शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। एल्वियोली के बीच सेल्स की एक पतली परत होती है, जिसे इंटरस्टिटियम (interstitium) कहा जाता है। इस परत में एल्वियोली को सपोर्ट करने के लिए रक्त धमनियां और कोशिकाएं होती हैं। इसके अलावा, फेफड़ों के ऊपर टिश्यू की एक पतली परत होती है, जिसे प्लूरा (Pleura) कहा जाता है। यह परत फेफड़ों के लिए एक ल्यूब्रीकेंट की तरह काम करते हैं, ताकि वह सांस लेते और छोड़ते हुए आसानी से फैल और सिकुड़ सकें।