फागुन की साँस से कवि का क्या तात्पर्य है ?
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इस कविता में कवि ने वसंत ऋतु की सुंदरता का बखान किया है। ... वसंत जब साँस लेता है तो उसकी खुशबू से हर घर भर उठता है। कभी ऐसा लगता है कि बसंत आसमान में उड़ने के लिए अपने पंख फड़फड़ाता है। कवि उस सौंदर्य से अपनी आँखें हटाना चाहता है लेकिन उसकी आँखें हट नहीं रही हैं।
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फागुन की सांस से कवि का क्या तात्पर्य है यह निम्नलिखित रूप से स्पष्ट किया गया है।
- फागुन मास में आने वाली बसंत ऋतु को
" ऋतु राज " कहा गया है। कवि निरालाजी ने
बसंत ऋतु की खूबसूरती का वर्णन किया है।
- कवि निरालाजी फागुन के सांस लेने की कल्पना करते है।
- फागुन के महीने में तेज हवाएं चलती है।
- पत्तियों की सरसराहट होती है, तेज हवाओं के चलने से सांय सांय की आवाजें आती है। ये आवाजें सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे फागुन सांस ले रहा हो।
- फागुन के सांस लेते ही प्रकृति में अनेक परिवर्तन दिखाई पड़ते है। सर्वत्र खुशबू बिखर जाती है, इस खुशबू का प्रभाव तन - मन पर पड़ता है। बसंत ऋतु में नए फूल खिलते है, पत्तियां लहलहाती है।
- फूल, नए - नए पत्तों व पेड़ - पौधों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
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