Hindi, asked by sohamnoob37, 6 months ago

(३)
फागुन के दिन चार होरी खेल मनारे ।
बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झनकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै, रोम-रोम रणकार रे ।।
सील संतोख की केसर घोली, प्रेम-प्रीत पिचकार रे ।
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे ।।
घट के पट सब खोल दिए हैं, लोकलाज सब डार रे ।
'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, चरण कँवल बलिहार रे ।।


meanings in english pls​

Answers

Answered by shrikantgaikwad23201
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Explanation:

मीराबाई कहना चाहती हैं कि मैं पूरी के दिन चार होते हैं और मैं वहां खुशियों से मनाना चाहती हूं मुझे हर बाजी की आवाज कम खाना कब सुनाई दे रही है और मैं अपने मैं अपने गिरिधर कृष्णा के साथ होली खेलना चाहती हूं उड़त गुलाल लगाना चाहती हूं उनको लगाना चाहती हूं और वही मेरी सब कुछ है

matk me as brainalist

Answered by pralhadgore3563
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Answer:

हे मेरे मन, फागुन मास में होली खेलने का समय अति अल्प होता है। अतः तू जी भरकर होली खेल। अर्थात मानव जीनव अस्थायी है, इसलिए भगवान कृष्ण से पूर्ण रूप से प्रेम कर ले। जिस प्रकार होली के उत्सव में नाच आदि का आयोजन होता है, उसी प्रकार कृष्ण प्रेम में मुझे ऐसा प्रतीत होता है मानो करताल, पखावज आदि बाजे बज रहे हैं और अनहद नाद का स्वर सुनाई दे रहा है, जिससे मेरा हृदय बिना स्वर और राग के अनेक रागों का आलाप करता रहता है। मेरा रोम-रोम, भगवान कृष्ण के प्रेम के रंग में डूबा रहता है। मैंने अपने प्रिय से होली खेलने के लिए शील और संतोष रूपी केसर का रंग घोला है। मेरा प्रिय-प्रेम ही होली खेलने की पिचकारी है। उड़ते हुए गुलाल से सारा आकाश लाल हो गया है। अब मुझे लोक-लज्जा का कोई डर नहीं है, इसलिए मैंने हृदय रूपी घर के दरवाजे खोल दिए हैं। अंत में मीरा कहती हैं कि मेरे स्वामी गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले कृष्ण भगवान हैं। मैंने उनके चरण कमलों में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है।

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