फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।‘ इस कथन के प्रकाश में बताइए कि मौजूदा व्यवस्था की कार्य-प्रणाली कैसी है? ऐसी कार्य-प्रणाली का क्या कारण है?
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Answer:
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?
उत्तर-
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता और बदहवासी दिखाई देती है, उससे उनकी गुलाम मानसिकता का बोध होता है। इससे पता चलता है कि वे आज़ाद होकर भी अंग्रेजों के गुलाम हैं। उन्हें अपने उस अतिथि की नाक बहुत मूल्यवान प्रतीत होती है जिसने भारत को गुलाम बनाया और अपमानित किया। वे नहीं चाहते कि वे जॉर्ज पंचम जैसे लोगों के कारनामों को उजागर करके अपनी नाराजगी प्रकट करें। वे उन्हें अब भी सम्मान देकर अपनी गुलामी पर मोहर लगाए रखना चाहते हैं।
इस पाठ में ‘अतिथि देवो भव’ की परंपरा पर भी प्रश्नचिह्न लगाया गया है। लेखक कहना चाहता है कि अतिथि का सम्मान करना ठीक है, किंतु वह अपने सम्मान की कीमत पर नहीं होना चाहिए।
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गस्त लगती रही और लाट की नाक चली गई शंख इंग्लैंड में बज रहा था और गूंज हिंदुस्तान में आ रही थी छोटा सा भाषण फौरन अखबारों में छप गया पुरातत्व विभाग की फाइलों के पेट चले गए पर कुछ भी पता नहीं चला
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