फूल की आत्मकथा पर अनुच्छेद (150 words)
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दोस्तो आज हमने Phool ki Atmakatha in Hindi Essay लिखा है फूल की आत्मकथा पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है. इस लेख के माध्यम से हमने एक Phool ki Atmakatha का वर्णन किया है इसमें फूल के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक का वर्णन किया गया है बताया गया है कि फूल कितनी कठिनाइयों से अपना जीवन जीता है.
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दोस्तो आज हमने Phool ki Atmakatha in Hindi Essay लिखा है फूल की आत्मकथा पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है. इस लेख के माध्यम से हमने एक Phool ki Atmakatha का वर्णन किया है इसमें फूल के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक का वर्णन किया गया है बताया गया है कि फूल कितनी कठिनाइयों से अपना जीवन जीता है.मैं फूल हूं सूरज की पहली किरण के साथ अपनी पंखुड़ियां बिखेर कर खिल जाता हूं. यह उसी प्रकार है जिस प्रकार मानव सुबह होते ही अंगड़ाई लेते हुए अपनी बाहों को खोलकर उठ जाता है. मैं खिलने के बाद पहली बार में इस दुनिया को देखता हूं.
यह दुनिया देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है ऊपर नीला आसमान, रंग बिरंगे उड़ते पंछी, नन्ही तितलियां, ठंडी-ठंडी हवा चल रही होती है, छोटी-छोटी ओस की बूंदें मेरे ऊपर जमा होती है और चारों और हरियाली मुझे बहुत भाती है.
यह वातावरण मुझे बहुत अच्छा लगता है इसीलिए मैं बार-बार इस दुनिया में जन्म लेता रहता हूं. मैं जब खिलता हूं तो मेरी पंखुड़ियां बहुत ही कोमल होती है साथ ही मेरे में से भिन्न-भिन्न प्रकार की सुगंधित सुगंध भी आती है.
जिससे आसपास का पूरा वातावरण मेरी सुगंध से सुगंधित हो जाता है. मेरी सुंदरता को देखते ही मानव मेरी ओर खींचे चले आते है और मेरे पास आकर मेरी बहुत सराहना करते हैं यह देख कर मुझे बहुत ही अच्छा लगता है. लेकिन जब मानव मुझे बिना किसी वजह के तोड़ता है और हाथों में मसल कर कहीं पर भी फेंक देता है तो मुझे बहुत ही दुख होता है.
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