फूल की आत्मकथा पर अनुच्छेद (निबंध नहीं चाहिए है ) Reminder***
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एक फूल की आत्मकथा
नमस्कार मित्रो, मैं एक फूल हुँ। मैं इस संसार में तब से है जब इस संसार का निर्माण हुआ था | तथा ईश्वर मुझसे ही पूजे जाते हैं। मैं इस संसार के हर कोने में पायी जाती हूँ। मुझसे ही रंग ,रूप और सौंदर्य है , सुगंध की उत्त्पत्ति मुझसे ही हुई हैं। जब मैं हवा की ताज़ी झोंको के साथ हँसती हूँ तो सारा प्रकृति भावविभोर हो उठती हैं।
आज मैं कई लोगों के लिए रोजगार की साधन भी हूँ।आज मानव मेरी खेती करके मुझे बाजार में बेच कर अपना जीवन यापन करते हैं। यह सब देखकर मैं बहुत खुशी होती हूँ| लोग मुझे सजावट के लिए भी प्रयोग में लाते है। शुभ कार्य में मैं किसी के घर , मंडप ,मंदिर और बड़े बड़े मंच की सोभा बढ़ाती हूँ। कोई भी शुभ कार्य या पूजा मेरे बगैर सम्पन नहीं होता। तथा जैसे प्रेमी युगल , दोस्तों के बीच , शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच , पत्ती और पत्त्नी के बीच ,पुजारी और भगवान के बीच या किसी का सम्मान करना हो तो मुझे ही प्रयोग में लाया जाता हैं|
वैसे तो मेरी आयु बहुत ही कम है पर जब मुझे मेरे पोधो से अलग किया जाता है वही मेरा अंत हो जाता है क्योँ की जीने के लिए मुझसे भी मिट्टी , हवा और पानी की जरुरत होती हैं। तथा मेरे बासी होने पर मुझे इस तरह उतार के फेंक दिया जाता है जैसे मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं। जैसे उनके दिल में मेरा कोई अस्थान ही नहीं यह पीरा मेरे लिए बहुत दुखदायी हैं।
इतना ही नहीं वहा से फेंकने के बाद मुझे कूड़ा दान में डाल दिया जाता है और किसी नाले में विसर्जित कर दिया जाता है।यही मेरी ज़िंदगी की दास्तां है |