फूलों की ज्वालाएँ
आँखें करतीं शीतल,
मुकुल अधर मधु पीते
गुंजन भर मधुकर दल !
तितली उड़तीं,
दूर, कहीं पल्लव छाया में
रुक-रुक गाती वन प्रिय कोयल !
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फूलों की ज्वालाएँ
आँखें करतीं शीतल,
मुकुल अधर मधु पीते
गुंजन भर मधुकर दल !
तितली उड़तीं,
दूर, कहीं पल्लव छाया में
रुक-रुक गाती वन प्रिय कोयल !
भावार्थ ➲ रंग-बिरंगे मनभावन फूल आँखों को बड़ी शीतलता प्रदान करते हैं। शहद से भरी हुई कलियों के रस का पान भौंरों का दल करता है। इन रंग बिरंगे फूलों पर तितलियां मंडराती हैं। वन में किसी पेड़ पर बैठी कोयल नई-नई अंकुरित हुई पत्तियों की छाया के बीच अपने सुरीले कंठ से मधुर-मधुर मधुर गीत सुना रही है।
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