Hindi, asked by vishalsharma85, 10 months ago

फूल और कांटों में अपने विचार व्यक्त करो।​

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Answered by sudhirg736
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</p><p>HTML CSS JS Result</p><p>&lt;section class="intro"&gt;</p><p>  &lt;div class="container"&gt;</p><p>    &lt;h1&gt;Vertical Timeline &amp;darr;&lt;/h1&gt;</p><p>  &lt;/div&gt;</p><p>&lt;/section&gt;</p><p></p><p>&lt;section class="timeline"&gt;</p><p>  &lt;ul&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1934&lt;/time&gt; At vero eos et accusamus et iusto odio dignissimos ducimus qui blanditiis praesentium At vero eos et accusamus et iusto odio dignissimos ducimus qui blanditiis praesentium</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1937&lt;/time&gt; Proin quam velit, efficitur vel neque vitae, rhoncus commodo mi. Suspendisse finibus mauris et bibendum molestie. Aenean ex augue, varius et pulvinar in, pretium non nisi.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1940&lt;/time&gt; Proin iaculis, nibh eget efficitur varius, libero tellus porta dolor, at pulvinar tortor ex eget ligula. Integer eu dapibus arcu, sit amet sollicitudin eros.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1943&lt;/time&gt; In mattis elit vitae odio posuere, nec maximus massa varius. Suspendisse varius volutpat mattis. Vestibulum id magna est.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1946&lt;/time&gt; In mattis elit vitae odio posuere, nec maximus massa varius. Suspendisse varius volutpat mattis. Vestibulum id magna est.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1956&lt;/time&gt; In mattis elit vitae odio posuere, nec maximus massa varius. Suspendisse varius volutpat mattis. Vestibulum id magna est.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1957&lt;/time&gt; In mattis elit vitae odio posuere, nec maximus massa varius. Suspendisse varius volutpat mattis. Vestibulum id magna est.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1967&lt;/time&gt; Aenean condimentum odio a bibendum rhoncus. Ut mauris felis, volutpat eget porta faucibus, euismod quis ante.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1977&lt;/time&gt; Vestibulum porttitor lorem sed pharetra dignissim. Nulla maximus, dui a tristique iaculis, quam dolor convallis enim, non dignissim ligula ipsum a turpis.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;1985&lt;/time&gt; In mattis elit vitae odio posuere, nec maximus massa varius. Suspendisse varius volutpat mattis. Vestibulum id magna est.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;2000&lt;/time&gt; In mattis elit vitae odio posuere, nec maximus massa varius. Suspendisse varius volutpat mattis. Vestibulum id magna est.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>    &lt;li&gt;</p><p>      &lt;div&gt;</p><p>        &lt;time&gt;2005&lt;/time&gt; In mattis elit vitae odio posuere, nec maximus massa varius. Suspendisse varius volutpat mattis. Vestibulum id magna est.</p><p>      &lt;/div&gt;</p><p>    &lt;/li&gt;</p><p>  &lt;/ul&gt;</p><p>&lt;/section&gt;</p><p>

Answered by Sroy24711
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Answer:

प्रस्तुत कविता फूल और कांटा कविवर अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' विरचित है। इस कविता में कवि ने फूल और कांटे की तुलना उनके विभिन्न  प्राकृतिक (स्वाभाविक) गुणों के आधार पर की है। एक ही पौधे में इन दोनों का जन्म एक ही स्थान पर होता है। पर इनके व्यवहारिक गुणों में बहुत अंतर है। इन दोनों का भरण पोषण एक ही अवस्था में  होता हैं।रात में चमकने वाला चांद इन दोनों पर एक समान रोशनी बिखेरता है।बरसात के समय पानी की बूंदे इन दोनों पर एक ही समान  पड़ती है। हवा का सद व्यवहार इन दोनों के प्रति एक जैसी है। पर इनके गुणों में जमीन आसमान का फर्क है। कांटे उंगलियों में चुभते हैं । ये किसी के बहुमूल्य वस्त्र की कीमत की परवाह न करते हुए उन्हें भी फाड़ देते हैं। प्यारे-प्यारे मनोहर तितलियों के पंख को काट देते हैं एवं जीर्ण शीर्ण  कर देते हैं ।ये काले भंँवरों को भी नहीं छोड़ते, जो पराग (रस) पान के उद्देश्य से फूल पर मंडराते हैं,पर कांँटे  उन्हें भी घायल कर देते हैं। इन सभी अवगुण के विपरीत अवस्था में मौजूद फूल का स्वभाव बहुत ही अच्छा एवं सराहनीय होता है।फूल तितलियों को अपनी गोद में बिठाते हैं तथा भौंरो को अपना पराग (रस)पान कराते हैं। अपने आकर्षक रंगों से यह सदैव दूसरों को प्रभावित एवं आकर्षित करते रहते हैं। यह आदर्श एवं सुख प्रदायक के प्रतीक सर्वगुण संपन्न है। ये सर्वप्रिय तथा देवताओं के शीश पर नैवेद्य पूजा के रूप में चढ़ाएं जाते हैं। ये हमारी सद्भावना एवं निष्ठा के प्रतीक है।

            कहने का तात्पर्य यह है कि भले ही मनुष्य अच्छे या उंँच कुल में जन्मा हो पर उसका स्वभाव अच्छा ना हो, उनमें बड़प्पन के भाव नहीं है तो सब व्यर्थ है। मनुष्य की महत्ता एवं उसकी सच्ची पहचान उसके सद्गुणों एवं व्यवहार से होती है न कि उंँचे कुल में जन्म लेकर घृणित कार्य करने से। आदर्श,जीवन व्यतीत करने के उद्देश्य से मनुष्य को फूल के स्वाभाविक गुणों को अपनाना श्रेयस्कर होगा।

Hope this is helpful.

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