Hindi, asked by mauryashyammurti, 1 month ago

फूलों सा महकूँ मैं,
विहंगों सा चहकूँ मैं
गुंजित कर वन उपवन,
कोयल सा कुहकूँ मैं।
मेरी अभिलाषा है।


इसका अर्थ बताइए ​

Answers

Answered by tiyamastigirl
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Answer:

इस कविता के कवि दवरिकाप्रसाद माहेश्वरी है कवि सूरज तारे के तरह झिलमिल चमकने की आभिलाक्षता है।

फूलों की तरह महककर चिडियों की तरह चहककर वन उपवन को विनित करना और कोयल सा कुसकने की आभिलाशा है। आकाश से निर्मलता चंद्र से शीतलता पृथ्वी से सहिषगुता पर्वत से दृढता लेने की अभिलाषा है।

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