फूलों से नित हँसना सीखो, भौरों से नित गाना।
तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना!
सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना!
दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना!
सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना!
लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना!
पृथ्वी से सीखो प्राणी की सच्ची सेवा करना!
दीपक से सीखो जितना हो सके अँधेरा हरना!
जलधारा से सीखो, आगे जीवन पथ पर बढ़ना!
और धुएँ से सीखो हरदम ऊँचे ही पर चढ़ना!
(क) उपरोक्त कविता को एक शीर्षक दीजिए। ( Please Answer )
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इस कविता का शीर्षक - आदर्श हो सकता है
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