फूल तथा काँटे के व्यवहार मे क्या अंतर है
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फूल और कांटा के स्वभाव में संस्कारों का अंतर होता है। फूल और कांटे एक पौधे के हिस्से होते हैं, इस प्रकार दोनो सहोदर भाई हुये लेकिन दोनों के स्वभाव और कार्य पद्धति में अंतर होता है। फूल जहाँ लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखरते हैं, वही कांटे चुभ कर लोगों को कष्ट देते हैं।
फूल सकारात्मकता का प्रतीक है क्योंकि वो लोगों को सदैव खुशियां बाटंता है तो कांटा नकारात्मकता का प्रतीक है क्योंकि वो लोगों हमेशा तकलीफ ही देता है। इस प्रकार फूल का स्वभाव धार्मिक तथा कांटे का स्वभाव अधार्मिक है।
फूल और कांटे के उदाहरण द्व्रारा मनुष्य के विभिन्न स्वभावों का विश्लेषण करने का प्रयत्न किया गया है। एक ही परिवार में जन्म लेने वाले दो भाई भी अलग-अलग स्वभाव के हो सकते है। एक अच्छे आचरण वाला हो सकता है तो दूसरे का आचरण गलत भी हो सकता है।
फूल को सब अपनाना चाहते हैं जबकि कांटे सब दूर भागते हैं क्योंकि वो हमेशा तकलीफ ही देता है। हमें सदैव फूल की तरह बनना चाहिये और लोगों को जीवन में मुस्कान बिखरने चाहिये। अगर हम कांटे की तरह बनेंगे तो कोई हमारे निकट नही आयेगा।