फेन प्लवन विधि में केवल सल्फाइड अयस्कों का सांद्रण क्यों किया जाता है
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फेन (झाग) प्लवन विधि में केवल सल्फाइड अयस्कों का सांद्रण इसलिये किया जाता है क्योंकि कि आधात्री के कण आसानी से पानी में भीग जाते हैं, जबकि शुद्ध धातु और अयस्क के कण तेल में ही भीगते हैं।
इस विधि में पानी और तेल के मिश्रण में सल्फाइड अयस्कों को डाला जाता है, जिसमें पानी में भीगने की अपनी प्रकृति के कारण आधात्री या अशुद्धियों के कण पानी में भीगकर भारी हो जाते हैं और पानी में बैठ जाते हैं, जबकि अयस्क के कण तेल में भीगते हैं। कार्बन डाइ ऑक्साइड प्रवाहित करने इसमें फेन (झाग) बनते हैं, जिससे अयस्क के कण सतह पर तैरने लगते हैं, जिन्हे अलग कर लिया जाता है।
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