"फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं
फटकार और घुड़कियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।" इस कथन का
आशय स्पष्ट कीजिए।
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इसका आशय कुछ इस प्रकार है की
जब आदमी की मौत आती है तब भी वह मोह और माया के बंधन में जकड़ा ही रहता है। चाहे कितनी भी लोग उसे समझाए वो फिर समझता नही ओर आखिर उसकी फिर सब कुछ त्यागना ही पड़ता है । लेखक के साथ भी ऐसा ही होता है जब वो विपत्ति में होते है तो किसी प्रकार के माया में उलझ के रह जाते है ।फिर उन्हे खेल का तिरस्कार करने के अलावा कोई मार्ग न था।
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