फेरी फेरा संघ के लक्षण बताइएपेरीफेरल संघ के 2 लक्षण बताइए
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संघ पोरिफेरा (Phyllum Porifera): पोरिफेरा ग्रीक भाषा के दो शब्द Poros = Pore, Ferre = to bear से मिलकर बना है। इसका अर्थ छिद्र धारक होता है। पोरीफेरा शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम रॉबर्ट ग्राण्ट (Robert Grant) ने 1825 ई. में किया था। इस संघ में आने वाले जन्तुओं को साधारणतः स्पंज (sponge) कहा जाता है। इस संघ के जन्तुओं के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
ये बहुकोशिकीय जलीय (Multicellular aquatic) जन्तु होते हैं जो साधारणतः चट्टान या किसी ठोस पदार्थ पर रहते हैं।
इनकी आकृति अनियमित, बेलनाकार, अंडाकार या शाखीय होती है।
इनके शरीर में ऊतक नहीं बनते।
इस संघ के जन्तुओं की शरीर भित्ति (Body wan) में अनेक छिद्र पाये जाते हैं जिन्हें ऑस्टिया (Ostia) कहते हैं। शरीर के अग्र सिरे पर एक बड़ा छिद्र पाया जाता है जिसे ओस्कुलम (Osculum) कहते हैं।
ये अत्यंत साधारण बहुकोशिकीय जीव हैं जिनमें नाल तंत्र (Canal system) पाया जाता है जिसकी सहायता से सम्पूर्ण शरीर में जल प्रवाहित होता है। ये द्विलिंगी (Bisexual) होते हैं।
इनमें पुनरुद्भवन (Regeneration) of क्षमता होती है।
शरीर कठोर बाह्य ककाल से ढंका होता है। कंकाल में काँटे के समान कुछ रचनाएँ होती हैं जिन्हें स्पिकूल्स (spicules) कहते हैं।
ये स्पिकूल्स कैल्सियम कार्बोनेट या सिलिका के बने होते हैं।
इनका शरीर द्विस्तरीय अन्तःचर्म एवं बाह्यचर्म से बना होता है।
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