History, asked by satishpatair, 4 months ago

फिरोजशाह तुगलक के गैर राजनीतिक कार्यों का उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए​

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Answered by khushikumari55555
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Answered by Anonymous
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Answer:

इस तरह से फिरोजशाह तुगलक वंश का तीसरा शासक (1351-1388) बना और उसने दिल्ली में एक नया शहर बसाया-फिरोजाबाद!

Explanation:

फिरोज शाह तुगलक दिल्ली सल्तनत में तुगलक वंश का शासक था। उसकी माँ- बीबी जैजैला (भड़ी) राजपूत सरदार रजामल की पुत्री थी। फिरोजशाह, मुहम्मद बिन तुगलक का चचेरा भाई एवं सिपहसलार ‘रजब’ का पुत्र था। मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद ही फिरोज शाह का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त, 1351 में हुआ था।

उलेमाओं को खुश रखने के लिए अपनाई थी कट्टर छवि : इतिहासकारों के अनुसार, फिरोजशाह द्वारा हिन्दुओं पर जुर्म और बर्बरता करने का एक यह भी कारण था कि उसे एक राजपूत माँ से पैदा होने के कारण अपने समय के उलेमाओं के सामने अपनी कट्टर मुस्लिम छवि को बनाए रखना था। यही वजह है कि इतिहास में उसे एक धर्मांध शासक के रूप में जाना गया। उसने अपनी हूकूमत के दौरान कई हिन्दूओं को मुस्लिम धर्म अपनाने पर मजबूर किया।

फिरोज तुगलक ने उलेमाओं का सहयोग पाने के लिए कट्टर धार्मिक नीति अपनाई, उलेमाओं को विशेषाधिकार पुनः प्राप्त किए तथा शरीयत को न केवल प्रशासन का आधार घोषित किया बल्कि व्यवहार में भी उसे लागू किया। ऐसा करने वाला वह सल्तनत का पहला शासक था।इसी फिरोजशाह तुगलक ने शरीयत के अनुसार जनता से 4 तरह के कर वसूले थे- जकात, सिंचाई कर (यह अपवाद था, क्योंकि यह शरियत में नहीं है), खम्स (युद्ध से प्राप्त लूट तथा भूमि में दबा खजाना तथा खानों से प्राप्त आय का बँटवारा) जिसके अनुपात को शरीयत के आधार पर वसूला। और इसी ने पहली बार ब्राह्मणों से भी जजिया (गैर मुस्लमानों से लिया जाने वाला कर) कर वसूला। वह पहला शासक था, जो जजिया को खराज (भू-राजस्व) से पृथक रूप से वसूलता था।

इससे पूर्व ब्राह्मणों को इस कर से मुक्त रखा गया था। यह पहला सुल्तान था जिसने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगा दिया। फिरोज तुगलक के ऐसा करने के विरोध में दिल्ली के ब्राह्मणों ने भूख हड़ताल कर दी थी। इसके बावजूद भी फिरोज तुगलक ने इसे समाप्त करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। अंत में दिल्ली की जनता ने ब्राह्मणों के बदले स्वयं जजिया देने का निर्णय लिया।

फिरोज शाह एक कमजोर सेनापति था, इसलिए उसने सत्ता में बने रहने का सबसे आसान तरीका अपनाकर उलेमाओं को खुश रखने का काम किया। यह सब फिरोजशाह ने सिर्फ और सिर्फ अपना सिंहासन बचाए रखने के लिए किया था।

मुस्लिम महिलाओं के पीरों की मजार जाने पर पाबंदी : उलेमाओं को प्रसन्न करने के लिए ही उसने हिन्दुओं पर अत्याचार के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं के पीरों की मजार जाने पर पाबंदी लगाई। पर्दा प्रथा को प्रोत्साहन दिया तथा अनेक मस्जिदों व मदरसों का निर्माण करवाया।

इतिहास में फिरोजशाह तुगलक को बुलंद इमारतों की तामीर करवाने के शौक के कारण भी याद किया जाता है। उसने करीब 300 नगर बसाए थे जिनमें हिसार, फिरोजाबाद (दिल्ली में नया शहर), फतेहाबाद, जौनपुर आदि प्रमुख हैं। दिल्ली स्थित कोटला फिरोजशाह दुर्ग जो कि फिरोजशाह कोटला मैदान के नाम से जाना जाता है, भी इसी ने बनाया था।

फिरोजशाह तुगलक ने दिल्ली में एक नया शहर बसाया था, जिसे फिरोजाबाद नाम दिया। फिलहाल दिल्ली में स्थित ‘कोटला फिरोजशाह आबाद’ कभी उसके दुर्ग का काम करता था। इस किले को कुश्के-फिरोज यानी फिरोज के महल के नाम से पुकारा जाता था। ऐसा कहा जाता है कि फिरोजाबाद, हौज खास से लेकर ‘पीर गायब’ (हिंदूराव हॉस्पिटल) तक आबाद था। लेकिन अब इसके अवशेष भी ढूँढे नहीं मिलते हैं। इतिहासकार फिरोजाबाद को दिल्ली का 5वाँ शहर मानते हैं।

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