History, asked by lechulekshmi2572, 1 year ago

फ्रांस के सर्फ और रोम के दास के जीवन की दशा की तुलना कीजिए।

Answers

Answered by nikitasingh79
86

उत्तर :  

फ्रांस के स़र्फ और रोम के दास के जीवन की दशा की तुलना :  

फ्रांस के सर्फ :  

फ्रांस के स़र्फ अर्थात कृषि दास लाॅर्ड की भूमि पर कृषि करते थे। इसलिए उनकी अधिकतर उपज भी लाॅर्ड को ही मिलती थी । उन से बेगार भी ली जाती थी । वे लाॅर्ड की आज्ञा के बिना जागीर नहीं छोड़ सकते थे। स़र्फ केवल अपने लाॅर्ड की चक्की में ही आटा पीस सकते थे।, उनकी तंदूरी में ही  रोटी सेक सकते थे और उनकी मदिरा संपीडक में ही मंदिरा और बीयर तैयार कर सकते थे। लाॅर्ड को उनका विवाह तय करने का भी अधिकार था।  

रोम के दास :  

रूम के दासों का जीवन बहुत ही कठोर था । उनसे कई कई घंटों तक लगातार काम किया जाता था।  उन्हें समूहों में बेड़ियों में जकड़ कर रखा जाता था, ताकि वे भाग न जाए। सोते समय भी उनकी बेड़ियां नहीं खोली जाती थी । उन्हें अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने के लिए उत्साहित किया जाता था , क्योंकि उनके बच्चे भी बड़े होकर दास बनते थे।  कुछ स्वतंत्र दास भी थे।  उनका जीवन बेहतर था।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।

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Answered by Anonymous
28

Explanation:

अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो।

इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य।[1] इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है।[2] दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है।[3] या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।[4] इन घटनाओं व ऐतिहासिक साक्ष्यों को तथ्य के आधार पर प्रमाणित किया जाता है।

इतिहास का आधार एवं स्रोत

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मुख्य लेख: इतिहास लेखन

इतिहास के मुख्य आधार युगविशेष और घटनास्थल के वे अवशेष हैं जो किसी न किसी रूप में प्राप्त होते हैं। जीवन की बहुमुखी व्यापकता के कारण स्वल्प सामग्री के सहारे विगत युग अथवा समाज का चित्रनिर्माण करना दु:साध्य है। सामग्री जितनी ही अधिक होती जाती है उसी अनुपात से बीते युग तथा समाज की रूपरेखा प्रस्तुत करना साध्य होता जाता है। पर्याप्त साधनों के होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि कल्पनामिश्रित चित्र निश्चित रूप से शुद्ध या सत्य ही होगा। इसलिए उपयुक्त कमी का ध्यान रखकर कुछ विद्वान् कहते हैं कि इतिहास की संपूर्णता असाध्य सी है, फिर भी यदि हमारा अनुभव और ज्ञान प्रचुर हो, ऐतिहासिक सामग्री की जाँच-पड़ताल को हमारी कला तर्कप्रतिष्ठत हो तथा कल्पना संयत और विकसित हो तो अतीत का हमारा चित्र अधिक मानवीय और प्रामाणिक हो सकता है। सारांश यह है कि इतिहास की रचना में पर्याप्त सामग्री, वैज्ञानिक ढंग से उसकी जाँच, उससे प्राप्त ज्ञान का महत्व समझने के विवेक के साथ ही साथ ऐतिहासक कल्पना की शक्ति तथा सजीव चित्रण की क्षमता की आवश्यकता है। स्मरण रखना चाहिए कि इतिहास न तो साधारण परिभाषा के अनुसार विज्ञान है और न केवल काल्पनिक दर्शन अथवा साहित्यिक रचना है। इन सबके यथोचित संमिश्रण से इतिहास का स्वरूप रचा जाता है

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