फ्रांस के तृतीय गणतंत्र के प्रमुख समस्याएं क्या-क्या
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तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र (The French Third Republic ; फ्रांसीसी: La Troisième République) ने फ्रांस पर १८७० से लेकर १९४० तक शासन किया। इसकी स्थापना फ्रांस-प्रशा युद्ध के समय द्वितीय फ्रांसीसी साम्राज्य के समाप्त होने पर हुई तथा १९४० में नाजी जर्मनी द्वारा फ्रांस को पराजित करने के साथ इसका अन्त हुआ।
तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र (The French Third Republic ; फ्रांसीसी: La Troisième République) ने फ्रांस पर १८७० से लेकर १९४० तक शासन किया। इसकी स्थापना फ्रांस-प्रशा युद्ध के समय द्वितीय फ्रांसीसी साम्राज्य के समाप्त होने पर हुई तथा १९४० में नाजी जर्मनी द्वारा फ्रांस को पराजित करने के साथ इसका अन्त हुआ।1870 ई. में सीडान (Sedan) के युद्ध में प्रशा के हाथों फ्रांस की शर्मनाक पराजय हुई थी जिसके परिणामस्वरूप फ्रांस को अपने दो बहुमूल्य प्रदेश अल्सास एवं लौरेन प्रशा को देना पड़े थे। इस पराजय के बाद फ्रांस की राजनीतिक स्थिति डवांडोल हो गई एवं तीसरी बार वहां गणतंत्र की स्थापना हुई, जिसे इतिहास में फ्रांस के तृतीय गणतंत्र के नाम से जाना जाता है। इस पराजय के बाद नैपोलियन तृतीय को बाध्य होकर आत्म-समर्पण करना पड़ा। वह बन्दी बना लिया गया। जब अगले दिन अर्थात् 3 सितम्बर को यह समाचार फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचा तो पेरिस की समस्त जनता के मुख पर यह प्रश्न था कि अब क्या होगा, क्योंकि उनके द्वारा 20 वर्ष पूर्व स्थापित राज-सत्ता अकस्मात ही नष्ट हो गई। जनता अब इस निर्णय पर पहुंची कि फ्रांस में गणतन्त्र शासन की स्थापना की जानी चाहिये। उस समय व्यवस्थापिका सभा का अधिवेशन हो रहा था। जनता ने सभा से उस समय यह प्रस्ताव शीघ्र ही पास करवा लिया कि नैपोलियन तृतीय को फ्रांस के सम्राट के पद से पृथक कर दिया जाये। इस प्रकार नैपोलियन तृतीय का पतन हुआ और फ्रान्स में तीसरी बार गणतांत्रिक सरकार की स्थापना हुई।
Answer:
- संसदीय राजतंत्र के प्रयास।
- नैतिक सरकार।
- उदारवादी रिपब्लिकन।
- पनामा घोटाला।
- कल्याणकारी राज्य और सार्वजनिक स्वास्थ्य
Explanation:
तीसरा गणतंत्र, 1870 से 1940 तक फ्रांसीसी सरकार। दूसरे साम्राज्य के पतन और पेरिस कम्यून के दमन के बाद, 1875 के नए संवैधानिक कानूनों को अपनाया गया, संसदीय सर्वोच्चता पर आधारित शासन की स्थापना की गई।
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