Hindi, asked by aryanshaw2904, 5 months ago

"फिर तो मैं तुम्हें जरूर देखेंश", कौए ने कहकका लगाया, "ऐसी अद्भुत
चीज़ तो मैंने आज तक नहीं देखी।"
"तुम मुझे चीज़ कहते हो, मैं मोती बनाने वाला कौडा हूँ, सीप का कोड़ा।"
"वही सही, मगर हे महाराजः बाहर त आइर, दर्शन तो दीजिए। कोर ने
मजाक उड़ाया।
"नहीं...नहीं... नहीं दरवाजा नहीं खुल सकता मैं मोती बनाने में जुटा हूँ।"
"मोती फिर बना लेना। दरवाजा तो खोलो। मैं मामूली-सा गरीब कौआ
जैसे कीमती मोती बनाने वाले बड़े कीड़ को देखना चाहता हूँ। में मोती भी
देखेंगा। मैंने आज तक मोती नहीं देखा।'
सकता। अगर तुम खुद को सपाना समझते हो तो
दरवाजा खुद ही खोल लो।" कीड़े ने व्यांग भारी
हँसी से कहा, क्योंकि वह जानता था कि कौआ
'कहा, "मैं तुम्हें अपना सवानापन दिखाता हूँ। अब
जो कुछ भी होगा उसका दोष मुझे मत देना।"
इतना कहकर कौए ने जल्दी से सीप को अपनी चाँच में एकड़ा और फिर
एकदम उड़ गया। ऊँचा और ऊँच, बहुत ही ऊँचा। जल्दी हो वह उस जगह
पहुँच गया जहाँ कठोर चट्टाने हों। उड़ते-उड़ते उसने बड़ी ऊँचाई से ताक कर
वह सीप एक चट्टान पर फेंक दी और फौरन सोचे उलएने लगा। सोए चट्टान से
टकराकर चूर-चूर हो गई।​

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Answered by abbistephen777
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Answer:

"फिर तो मैं तुम्हें जरूर देखूंगा", काए ने कहाकका लगाया, "ऐसा अद्भुत

सामान तो मैंने आज तक नहीं देखा। "

"तुम मुझे चीज़ कहते हो, मैं मोती बनाने वाला कौडा हूँ, सीप का कोड़ा।"

"बहुत ही सही, लेकिन हेहरा: बाहर त आ

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