फादानबऊल्के को याद करता पवित्र साठा के समान क्यो
कटा।
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लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को ‘यज्ञ की पवित्र अग्नि’ इसलिए कहा गया है,
फादर बुल्के का जन्म यूरोप के बेल्जियम में हुआ था , वह खुद को हमेशा भारतीय ही मानते थे। फादर बुल्के ने हिंदी को समृद्ध और राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने में भरसक बहुत सहयोग दिया है । जिस प्रकार से यज्ञ की पवित्र अग्नि अपनी स्वच्छता तथा दिव्य ज्योति से सब को प्रभावित करती है| फादर कामिल बुल्के ने अपने कामों से और अपने उदार व्यक्तित्व से सम्पूर्ण समाज को प्रभावित किया था| इसी कारण से लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को ‘यज्ञ की पवित्र अग्नि’ कहा|
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