फादर बुल्के को सबसे बड़ी चिंता किस बात की थी और क्यों मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए
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अपने प्रियजनों के प्रति इतनी आत्मीयता रखते थे कि अपने आशीर्वादों से लोगों के मन को लबालब भर देते थे। इस तरह वे मानवीय करुणा के अवतार थे। लेखक ने फादर बुल्के को 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा है? फ़ादर मानवीय गुणों से लबालब थे जिसमें मानव के प्रति कल्याण की भावना थी।
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फादर बुल्के की चिंता निम्नलिखित है
- फादर बुल्के हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाना चाहते थे। जब भी लोगो के बीच हिंदी की उदासीनता को देखते थे तो वे जुंझला उठते थे।
- उन्होंने भारत में दो साल धर्माचार की पढ़ाई की।
- कोलकाता से बीए तथा इलाहाबाद से हिंदी में एम ए किया।
- उनकी सबसे बड़ी चिंता बस हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने की थी।
- उन्होंने हिन्दी कोष भी लिखी हैं और बाइबल का अनुवाद भी किया हैं।
- फादर बुल्के की चिंता निम्नलिखित हैl
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